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15 गांवों में डेढ़ माह से रसोई गैस की आपूर्ति नहीं

भारत-तिब्बत-चीन सीमा से लगी नीती-मलारी घाटी की दुश्वारियां कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। 16 दिनों से बंद पड़े हाईवे को हालांकि सीमा सड़क संगठन ने खोल दिया है लेकिन घाटी के 15 से अधिक गांवों में पिछले डेढ़ माह से रसोई गैस की आपूर्ति नहीं हो पाई है जिससे घाटी में रसोई गैस का संकट गहरा गया है। गैस समाप्त होने के बाद फिलहाल यहां के ग्रामीण जलावनी लकड़ियों के सहारे अपना काम चला रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 30 Aug 2021 06:08 PM (IST)Updated: Mon, 30 Aug 2021 06:08 PM (IST)
15 गांवों में डेढ़ माह से रसोई गैस की आपूर्ति नहीं

संवाद सहयोगी, गोपेश्वर: भारत-तिब्बत-चीन सीमा से लगी नीती-मलारी घाटी की दुश्वारियां कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। 16 दिनों से बंद पड़े हाईवे को हालांकि सीमा सड़क संगठन ने खोल दिया है, लेकिन घाटी के 15 से अधिक गांवों में पिछले डेढ़ माह से रसोई गैस की आपूर्ति नहीं हो पाई है, जिससे घाटी में रसोई गैस का संकट गहरा गया है। गैस समाप्त होने के बाद फिलहाल यहां के ग्रामीण जलावनी लकड़ियों के सहारे अपना काम चला रहे हैं।

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बीते 13 अगस्त को तमक के निकट मरखुड़ा में जोशीमठ-मलारी राष्ट्रीय राजमार्ग अवरुद्ध हो गया था। इससे नीती, मलारी, बाम्पा, गमशाली, फरकिया, लौंग और तमक सहित 15 से अधिक गांवों के ग्रामीणों के लिए मुश्किलें पैदा हो गई थी। इस घाटी में जोशीमठ इंडेन गैस सर्विस की ओर से घरेलू रसोई गैस की सप्लाई की जाती है, जो करीब डेढ़ माह से ठप पड़ी है। अब घाटी में बची हुई रसोई गैस समाप्त हो गई है। लिहाजा ग्रामीण बीते कई दिनों से जंगलों से लकड़ियां लाकर रोजमर्रा का कार्य चला रहे हैं। बाम्पा गांव के पूर्व प्रधान धर्मेंद्र सिंह पाल का कहना है कि रसोई गैस की सप्लाई न होने से खाना बनाने में अधिकतर व्यक्तियों व परिवारों को दिक्कतें हो रही हैं। इन दिनों घाटी में सड़क सहित अन्य निर्माण के लिए मजदूर भी गए हुए हैं। ग्रामीणों द्वारा मजदूरों को दिहाड़़ी पर लगाकर जंगलों से जलावनी लकड़ियां मंगाकर अपना काम चलाया जा रहा है। जिला पूर्ति अधिकारी केएल शाह ने बताया कि पहले हाईवे बंद होने के कारण रसोई गैस की सप्लाई नहीं हो पा रही थी। बताया कि दो दिनों के भीतर रसोई गैस का पूरी घाटी में वितरण कर दिया जाएगा।


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