गांधी के जीवन से सभी को सीख लेने की जरुरत
संवाद सहयोगी, गोपेश्वर: 15 अक्टूबर को बद्रिकाश्रम बद्रीनाथ से शुरू हुई गांधी यात्रा का समापन कक
संवाद सहयोगी, गोपेश्वर: 15 अक्टूबर को बद्रिकाश्रम बद्रीनाथ से शुरू हुई गांधी यात्रा का समापन ककोड़ाखाल में हुआ। इसी स्थान पर आजादी की लड़ाई में कुली बेगार प्रथा का प्रतिरोध किया गया था। इससे पूर्व इस स्थल पर पौधरोपण एवं विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया।
गांधी यात्रा के अंतिम दिन यात्रा कोटकी गांव से शुरू होते हुए ककोड़ा खाल पहुंची। इस स्थल पर कुली बेगार प्रथा का प्रतिरोध आजादी के दौरान किया गया था। यात्रियों ने सर्वप्रथम इस स्थल पर स्मृति स्थल पर माल्यार्पण कर यात्रा का समापन किया। गोष्ठी में मुख्य अतिथि वरिष्ठ पत्रकार रमेश पहाड़ी ने कहा कि गांधी जी के जीवन और उससे मिलने वाली शिक्षा से सीख लेने का आह्वान किया। सीपी भट्ट पर्यावरण एवं विकास केंद्र के मंगला कोठियाल ने कहा गांधी का जीवन आज भी प्रासंगिक है और उनके दर्शन और अनुभव का लाभ लिया जाना चाहिए। शिक्षक सतेंद्र भंडारी ने कहा कि पर्यावरण को लेकर 100 साल पहले ही गांधी ने कहा कि हमें पृथ्वी के उपयोग और दोहन के बीच के अंतर को समझना होगा, तभी पृथ्वी को बचाया जा सकता है। शिक्षक धन ¨सह घरिया ने कहा कि गांधी के सत्य और अ¨हसा के विचारों को जीवन में आत्मसात करना चाहिए। इस दौरान श्यामलाल सुंदरियाल, बाम देव, मधुसूदन आर्य, रंजना गैरोला, मानवेंद्र ¨सह, वीरेंद्र ¨सह भंडारी, कोटकी के प्रधानाचार्य चंद्र प्रकाश खंडूरी, ओम भट्ट, रमेश थपलियाल, विनय सेमवाल, प्रधान राजबीर ¨सह राणा आदि ने विचार व्यक्त किए।