युवाओं के दल ने छह दिनों में पूरा किया कागभुसंडि ट्रैक का सफर
संवाद सहयोगी गोपेश्वर जोखिम भरे ट्रैकों में से एक कागभुसंडि ट्रैक की यात्रा कर पुलना भ्य
संवाद सहयोगी, गोपेश्वर : जोखिम भरे ट्रैकों में से एक कागभुसंडि ट्रैक की यात्रा कर पुलना भ्यूंडार व पांडुकेश्वर के युवाओं ने देश-दुनिया के पर्यटकों को यहां आने का संदेश दिया। 50 किमी लंबे इस ट्रैक को छह युवाओं के दल ने छह दिनों में पूरा किया।
कागभुसंडि ट्रैक में पुलना, भ्यूंडार के बाद सभी निर्जन पड़ाव हैं। कागभुसंडि से दस किमी पहले राजखर्क से तो खड़ी चढ़ाई ट्रैकरों के पसीने छुड़ा देती है। हालांकि इस ट्रैकिग रूट पर जून, जुलाई के बाद सितंबर से लेकर नवंबर तक ट्रैकिग का लुफ्त उठाया जा सकता है। परंतु स्थानीय लोग समय समय पर इस ट्रैकिग रूट पर आवाजाही करते रहते हैं। पुलना भ्यूंडार से 25 किमी जाना और 25 किमी वापसी में आना पड़ता है। इस ट्रैकिग रूट के अधिकतर क्षेत्र बर्फ से ढके हुए हैं। ग्लेशियर, झील व दुर्लभ वन्य जीवों का यह ट्रैकिग रूट संसार है।
पुलना भ्यूंडार व गोविदघाट के छह युवाओं के दल ने छह दिनों में इस ट्रैकिग रूट का सफर तय किया है। इन युवाओं में पांडुकेश्वर निवासी रोहित भंडारी, प्रवेश मेहता तथा पुलना भ्यूंडार के आकाश चौहान, साजन चौहान, विपिन चौहान, रूपेश शामिल थे। ट्रैकिग दल के सदस्य रोहित भंडारी ने बताया कि इस ट्रैकिग रूट का सफर बेहर जोखिम भरा है। उनके मुताबिक राजखर्क से आगे दस किमी की खड़ी चढ़ाई चढ़ने में पसीने छूट जाते हैं। यदि देश-विदेश के पर्यटक इस ट्रैकिग रूट पर आएं तो इससे स्थानीय पर्यटन व्यवसाय को चार चांद लग सकते हैं। इसके लिए उन्होंने सरकार से कागभुसंडि ट्रैक के प्रचार प्रसार पर जोर देने की अपील की है।