Joshimath Sinking: 40 प्रतिशत तक ध्वस्त हो चुके दोनों होटल, घटा जेपी कालोनी में फूटी जलधारा का प्रवाह
Joshimath Sinking जोशीमठ में होटल मलारी इन और माउंट व्यू का करीब 40 प्रतिशत हिस्सा तोड़ा जा चुका है। जोशीमठ की जेपी कालोनी में फूटी जलधारा को लेकर एक बार फिर राहत महसूस की जा रही है।
संवाद सहयोगी, जोशीमठ: Joshimath Sinking: भूधंसाव से जूझ रहे जोशीमठ में मौसम आपदा प्रभावितों के साथ सरकारी तंत्र की भी परीक्षा ले रहा है। सोमवार को दोपहर बाद हुई वर्षा और बर्फबारी ने आपदा प्रभावितों की परेशानी के साथ अधिकारियों की चुनौतियां बढ़ा दीं।
मौसम का मिजाज बदलने से भवनों की डिस्मेंटलिंग के साथ राहत कार्य प्रभावित हुए। प्रभावितों को राहत शिविरों में शिफ्ट करने की प्रक्रिया में भी बाधा आई। शहर में देर शाम तक वर्षा और बर्फबारी का दौर जारी था। इससे जमीन और भवनों में आई दरारों में पानी जाने की आशंका भी गहरा गई है।
असुरक्षित घोषित वार्ड सुनील गांव में हुई बर्फबारी
जोशीमठ में रविवार को दिनभर बादल थे, मगर वर्षा नहीं हुई। सोमवार सुबह भी मौसम का मिजाज ठीक था। हालांकि, आसमान में बादल छाए हुए थे। इसको देखते हुए प्रशासन की टीम ने होटलों और भवनों की डिस्मेंटलिंग का कार्य शुरू कर दिया था। लेकिन, दोपहर में करीब 12 बजे मौसम ने अचानक करवट बदली और चारों तरफ बादल छा गए। कुछ ही देर में पूरे शहर में वर्षा शुरू हो गई।
असुरक्षित घोषित वार्ड सुनील गांव में रुक-रुक कर बर्फबारी हो रही है। ऐसे में भवनों की डिस्मेंटलिंग रोकनी पड़ी। राहत कार्यों पर भी विराम लग गया। वर्षा और बर्फबारी से तापमान भी काफी गिर गया। इससे पूरे शहर में जनजीवन अस्त-व्यस्त नजर आया। अधिकतम तापमान 9.6 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 5.3 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। ठंड से बचने के लिए आपदा प्रभावितों ने अलाव और हीटर का सहारा लिया।
एक ही चिंता, कैसे बचाएं गृहस्थी का सामान
वर्षा और बर्फबारी भूधंसाव को बढ़ा सकती है। कड़ाके की ठंड के बीच आपदा प्रभावितों को यह चिंता भी सता रही है। इससे क्षतिग्रस्त घरों में रखा सामान खराब होने की आशंका भी उन्हें खाए जा रही है। कुछ प्रभावितों का सामान घर के बाहर खुले में भी रखा है, जिसे राहत शिविर में नहीं लाया सकता।
ऐसे आपदा प्रभावितों के दिन-रात इसी उधेड़बुन में कट रहे हैं कि किस तरह गृहस्थी के सामान को बचाया जाए। ऐसी ही पीड़ा से जूझ रहे एसएसबी से सेवानिवृत्त देवेंद्र सिंह का कहना है कि उनका घर होटल मांउट व्यू के नीचे हैं और पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुका है। उन्होंने परिवार के साथ राहत शिविर में शरण ले रखी है।
घर में गृहस्थी का सामान ऐसे ही पड़ा है। वर्षा और बर्फबारी से पानी घर में घुस रहा है। इससे सामान बर्बाद हो रहा है। इसी तरह आपदा प्रभावित चंडी प्रसाद बहुगुणा को दरारों में घुस रहे वर्षा के पानी से मकान की नींव धंसने का खतरा सता रहा है।
एक कमरे में रहने को मजबूर आठ से दस लोग
आपदा प्रभावितों के लिए बनाए गए अस्थायी राहत शिविरों में प्रशासन ने हीटर और अलाव की व्यवस्था की है। प्रभावितों को पर्याप्त बिस्तर भी उपलब्ध कराए गए हैं, लेकिन एक ही कमरे में पूरे परिवार को गुजारा करना पड़ रहा है। इससे उनके सामने अनेक प्रकार की दिक्कतें आ रही हैं।
क्योंकि, कुछ परिवारों में आठ से दस सदस्य भी हैं। आपदा प्रभावितों ने इस संबंध में अधिकारियों से भी शिकायत की है। जिलाधिकारी हिमांशु खुराना का कहना है कि राहत शिविरों में ठंड से बचने के लिए हीटर, अलाव सहित पर्याप्त बिस्तर उपलब्ध करा दिए गए हैं। प्रभावितों की परेशानियों का तत्काल निराकरण करने के लिए अधिकारी मौजूद हैं।
103 लीटर प्रति मिनट घटा जलधारा का प्रवाह
जोशीमठ की जेपी कालोनी में फूटी जलधारा को लेकर एक बार फिर राहत महसूस की जा रही है। दो जनवरी की रात फूटी इस जलधारा के प्रवाह में सोमवार को 103 लीटर प्रति मिनट की कमी दर्ज की गई। इससे पहले तीन दिन (शुक्रवार से रविवार) तक जलधारा का प्रवाह 170 लीटर प्रति मिनट (एलपीएम) पर स्थिर था।
शुरुआत में जलधारा का प्रवाह 540 एलपीएम था। उधर, दरार वाले भवनों की संख्या स्थिर है। अब तक शहर में ऐसे 863 भवन चिह्नित किए जा चुके हैं। इनमें से 181 भवनों को लाल निशान लगाकर असुरक्षित घोषित किया गया है।
सात और परिवार राहत शिविरों में शिफ्ट
वर्तमान में शहर के आपदा प्रभावित 253 परिवारों ने राहत शिविरों में शरण ले रखी है। इनमें से सात परिवार सोमवार को अपने असुरक्षित हो चुके भवन छोड़कर राहत शिविर में पहुंचे।
उधर, दो परिवार राहत शिविर से किराये के भवन में शिफ्ट हुए। अब आपदा प्रभावित 43 परिवार रिश्तेदारों के घर में या किराये के भवन में निवास कर रहे हैं। आपदा प्रभावितों के अस्थायी पुनर्वास के लिए फेब्रिकेटेड हट बनाने का कार्य गतिमान है।
40 प्रतिशत तक ध्वस्त हो चुके दोनों होटल
जोशीमठ में होटल मलारी इन और माउंट व्यू का करीब 40 प्रतिशत हिस्सा तोड़ा जा चुका है। इन होटलों का सबसे ऊपरी तल पूरी तरह ध्वस्त हो चुका है। जेपी कालोनी में भी भूधंसाव से प्रभावित 14 भवनों को गिराने का काम जारी है। हालांकि, सुनील गांव में असुरक्षित घोषित किए गए भवन को उसके स्वामी के विरोध के कारण तोड़ने का कार्य अब तक शुरू नहीं हो पाया है।