इस स्कूल में शुरू हुई अनोखी पहल, गढ़वाली में प्रार्थना करते हैं बच्चे
राजकीय इंटर कालेज बांजबगड़ में रसायन विज्ञान के प्रवक्ता धनपति शाह की पहल पर पिछले एक माह से प्रार्थना के समय गढ़वाल में सरस्वती वंदना का गायन हो रहा है।
गोपेश्वर, जेएनएन। 'सरस्वती वीणाधारी वरदान देयी, हम अंया तेरा द्वार हम तैं ज्ञान देई...।' इंटर कालेज बांजबगड़ में पिछले एक माह से गढ़वाली भाषा में इस तरह सरस्वती वंदन गाई जा रही है। विद्यालय के ही एक शिक्षक ने गढ़वाली भाषा को बचाने के लिए यह अनूठी पहल की है।
विकासखंड घाट के राजकीय इंटर कालेज बांजबगड़ में रसायन विज्ञान के प्रवक्ता धनपति शाह की पहल पर पिछले एक माह से प्रार्थना के समय गढ़वाल में सरस्वती वंदना का गायन हो रहा है। पहले इस विद्यालय में अन्य विद्यालयों की तरह हिंदी में प्रार्थना गाई जाती थी। शिक्षक के मन में यह सोच पैदा हुई कि विद्यालय में प्रार्थना गढ़वाली भाषा में गाई जाए, तो बच्चे खुद-ब-खुद गढ़वाली सीख जाएंगे और इससे गढ़वाली भाषा भी जिंदा रहेगी।
खास बात यह कि प्रार्थना के अलावा, अध्ययन के दौरान भी शिक्षक और छात्र-छात्राएं गढ़वाली भाषा का प्रयोग कर रहे हैं। शिक्षक धनपति शाह का कहना है कि आज लोग अपनी लोकभाषा को भूलते जा रहे हैं। ठेठ गांवों के विद्यालयों में भी गढ़वाली के बजाय ङ्क्षहदी या फिर अंग्रेजी में ही अध्ययन, अध्यापन व बातचीत हो रही है। उन्होंने कहा कि लोग आज गढ़वाली भाषा व साहित्य से विमुख हो रहे हैं। ऐसे में गढ़वाली भाषा को संरक्षित करने का यह प्रयास मात्र है।
इंटर कॉलेज बांजबगड़ के प्रधानाचार्य दिनेश कुमार ने बताया कि शिक्षक ने उनके समक्ष गढ़वाली भाषा में प्रार्थना की बात रखी। यह बात उन्हें अच्छी लगी। कहा कि आज विद्यालय के सभी छात्र-छात्राएं अपनी लोक भाषा में प्रार्थना का गायन कर खुशी महसूस कर रहे हैं। साहित्यकार व गढ़वाली भाषा पर लंबे समय से कार्य कर रहे नंदकिशोर हटवाल का कहना है कि अन्य विद्यालयों में भी इस प्रकार के कार्य होने चाहिए, ताकि गढ़वाली भाषा जिंदा रह सके। उन्होंने कहा कि गढ़वाली भाषा और साहित्य के प्रचार प्रसार को लेकर भी कार्य किया जाना चाहिए।
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