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परेशान काश्तकारों ने सीएम को भेजा खत

संवाद सूत्र, कर्णप्रयाग: विकासखंड कर्णप्रयाग, गैरसैंण व पिंडरघाटी के थराली, देवाल, नारायणबग

By JagranEdited By: Published: Sun, 09 Sep 2018 06:58 PM (IST)Updated: Sun, 09 Sep 2018 06:58 PM (IST)
परेशान काश्तकारों ने सीएम को भेजा खत

संवाद सूत्र, कर्णप्रयाग: विकासखंड कर्णप्रयाग, गैरसैंण व पिंडरघाटी के थराली, देवाल, नारायणबगड़ के कृषकों ने बंदरों से निजात और वर्षाकाल में अतिवृष्टि से मौसमी उपज को हुए नुकसान का मुआवजा देने की गुहार प्रदेश सरकार से की है।

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काश्तकार जयवीर सिंह, अरुण कुमार, कुंवर सिंह और राजेंद्र सिंह ने कहा कि ग्रामीण अंचलों में काश्तकार बंदरों के आतंक से खेती छोड़ने को विवश हैं, लेकिन प्रदेश सरकार कागजी योजनाओं को बनाकर काश्तकारों को कभी बंदरबाड़ा तो कभी फसल बीमा का लाभ देकर भ्रमित करने का प्रयास कर रही है। हालत यह है कि गांव में बसासत काश्तकारों ने अपने घर आंगन में बने बगीचों में साग-भाजी की बुआई जंगली सुअरों व बंदरों के आतंक से बंद कर दी है। इस बार वर्षाकाल में अतिवृष्टि के चलते अज्ञात रोग की चपेट में आकर स्थानीय स्तर पर होने वाली मौसमी सागभाजी का उत्पादन भी शून्य हो गया है। काश्तकार महेंद्र सिंह और दिगपाल सिंह कहते हैं लौकी, तोरई के पत्ते पीले पड़ने के साथ गल रहे हैं, जिससे इस बार सब्जी उत्पादन सिफर रहा है, जबकि बाजार में लगातार बढ़ते ईधन के दामों से बाहरी क्षेत्र से कस्बाई बाजारों तक पहुंचने वाली साग-सब्जी ऊंचे दामों पर बिक रही है। काश्तकारों ने मुख्यमंत्री को प्रेषित पत्र में बाहरी क्षेत्रों से पहाड़ में छोडे़ जा रहे बंदरों से निजात की गुहार लगाते हुए कहा कि बीते वर्ष नगरीय व ग्रामीण क्षेत्र में वन विभाग ने हजारों रुपये व्यय कर पिंजरा लगाकर बंदर तो पकड़े, लेकिन इनको यहीं के जंगल की सीमा में छोड़ दिया, जिससे समस्या जस की तस है। यदि शीघ्र ही बंदरबाड़ा बनाकर समस्या का हल नहीं किया गया, तो गांवों में बसासत परिवार भी पलायन को विवश होंगे।


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