राम के वियोग में राजा दशरथ ने त्यागे प्राण
संवाद सहयोगी गोपेश्वर पीपलकोटी की ऐतिहासिक रामलीला में पुत्र से बिछड़ने के गम में राज
संवाद सहयोगी, गोपेश्वर:
पीपलकोटी की ऐतिहासिक रामलीला में पुत्र से बिछड़ने के गम में राजा दशरथ ने अपने प्राण त्यागे। उसके बाद राम-भरत मिलाप के दृश्य को देख दर्शक भाव विभोर हो गए।
लीला में सबसे पहले राम, लक्ष्मण, सीता को वन छोड़कर सुमंत आयोध्या पहुंचते हैं। राजा दशरथ सुमंत के साथ राम को नहीं देखते हैं तो अपने पुत्र वियोग में वे अपने प्राणों को त्याग देते हैं। उसके बाद भरत अपने ननिहाल से राम के राज्याभिषेक के लिए आयोध्या पहुंचते हैं तो आयोध्या का माहौल सुनसान देख वे सुमंत से पूछते हैं कि ये राज्याभिषेक की जगह सुनसान क्यों छाई है। सुमंत इस दुखद घटना की जानकारी भरत को देते हैं तो भरत अपना पूरा राज्य छोडकर तुरंत अपने भाई राम से मिलने वन पहुंच जाते हैं। भरत भी राम के साथ वन में रहने की जिद करते हैं। राम द्वारा उन्हें समझाया जाता है और वापस अयोध्या लौट जाने को कहते हैं। तब भरत अपने भाई राम को वचन देते हैं कि जब तक आप 14 वर्ष का वनवास पूरा कर अयोध्या नहीं लौट आते तब तक मैं आयोध्या की राजगद्दी की सेवा करूंगा व आपके लौटने पर ही आपका राज्याभिषेक होगा। इस दृश्य को देख दर्शकों की आंखे भी छलछला उठी।
इससे पहले लीला के मुख्य अतिथि विवेकानंद चिकित्सालय पीपलकोटी के चिकित्सा प्रभारी डॉ. मुकेश उनियाल ने लोगों से भगवान राम के आदर्शोँ को जीवन में आत्मसात करने की अपील की। विशिष्ट अतिथि शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष कमल किशोर डिमरी ने कहा की पीपलकोटी की ऐतिहासिक रामलीला आज पूरे प्रदेश में अलग ही पहचान बनानें में सफल सिद्ध हुई है।