यात्रा मार्गो पर विशेषज्ञ चिकित्सों के तैनाती की मांग
संवाद सूत्र कर्णप्रयाग बदरीनाथ यात्रा प्रारंभ होने में अब एक माह का समय शेष है ऐसे में क
संवाद सूत्र, कर्णप्रयाग:
बदरीनाथ यात्रा प्रारंभ होने में अब एक माह का समय शेष है ऐसे में कर्णप्रयाग के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में रिक्त चिकित्सकों के पदों पर तैनाती न होने व खुशियों की सवारी सहित आकस्मिक सेवा वाहन 108 व्यवस्था में सुधार की मांग करते हुए क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों ने इस आशय का पत्र स्वास्थ्य महानिदेशक को भेजा है।
कपीरी संघर्ष समिति अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह नेगी, प्रधान ग्वाड़ रणवीर सिंह, खेमराज भडारी ने कहा कि बीते दो दशक से सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र कर्णप्रयाग में चिकित्सकों के पद रिक्त हैं। उन्होंने कहा कि फिजीशियन, रेडियोलोजिस्ट की तैनाती न होने से चिकित्सकों को प्रतिदिन सौ से अधिक मरीजों के इलाज की चुनौती है। शासन से आर्थोपेडिक सर्जन, बालरोग के पद सृजित करने की मांग पूरी नही हो सकी है। कमोवेश यही स्थिति प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र गौचर की बनी है, जहां करोड़ों का भवन तैयार करने के बाद भी शासन विशेषज्ञ चिकित्सकों के पद स्वीकृत नही कर पाया है। जिससे क्षेत्र की 20 हजार से अधिक आबादी को स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए निजी चिकित्सालयों में जाना पड़ रहा है। जहां पर ज्यादा पैसे खर्च कर उपचार कराना उनकी विवशता बनी है।
गौरतलब है कि जनपद के कर्णप्रयाग स्थित सीएचसी में विशेषज्ञ चिकित्सकों की तैनाती होने से इसका लाभ देवाल, थराली, नारायणबगड़, घाट सहित गैरसैंण क्षेत्र की जनता को मिलता। लेकिन पहाड़ में चिकित्सकों के न पहुंचने का बहाना बनाकर विभाग पल्ला झाड़ रहा है। ग्रामीण नरेन्द्र सिंह भंडारी, नरेन्द्र तोपाल शास्त्री बताते हैं कि आकस्मिक सेवा के नाम पर दस वर्ष पूर्व बदरीनाथ यात्रा मार्ग पर 88 लाख रूपये का ट्रॉमा सेंटर तैयार किया गया। जिसमें वर्ष 2013-2014 में पूर्ववर्ती सरकार द्वारा विशेषज्ञ चिकित्सकों के 6, स्टाफ नर्स के 13 पदों की स्वीकृति भी प्रदान की। लेकिन आज तक भवन में बुनियादी सुविधाएं मयस्सर नही हो सकी है। अब ट्रॉमा सेंटरों को सीएचसी में मर्ज करने की बात स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों द्वारा की जा रही है। कपीरी संघर्ष समिति अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह ने कहा कि सरकार पलायन रोकने, बेरोजगारी दूर करने का दंभ भर रही है, लेकिन पहाड़ों में रह रहे लोगों को बुनियादी सुविधा देने में सारी योजनाएं फिसड्डी साबित हुई है।