पांडुकेश्वर में नदी के कटाव से फिर बढ़ा खतरा
संवाद सहयोगी, गोपेश्वर: वर्ष 2013 की आपदा में तबाह हुए पांडुकेश्वर गांव व कस्बे में कई भवन ख
संवाद सहयोगी, गोपेश्वर: वर्ष 2013 की आपदा में तबाह हुए पांडुकेश्वर गांव व कस्बे में कई भवन खतरे की जद में हैं। इस बरसात में भी अलकनंदा नदी के कटाव से इन भवनों को खतरा बना हुआ है। शिकायत के बाद भी प्रशासन की ओर से भवनों की सुरक्षा को कदम न उठाए जाने से स्थानीय लोगों में आक्रोश है।
श्री बदरीनाथ यात्रा के प्रमुख पड़ाव पांडुकेश्वर में वर्ष 2013 की आपदा में व्यापक नुकसान पहुंचा था। तब खीरों गंगा व अलकनंदा के तेज बहाव के बाद यहां 10 साधुओं की कुटिया, 12 से अधिक होटल, आवासीय भवन, प्राथमिक विद्यालय, सरकारी अस्पताल के अलावा अन्य नुकसान पहुंचा था। तब यहां के प्रभावितों को अन्यत्र बसाया गया था। आपदा के समय जो कटाव हुआ, उसके जख्म अभी भी हरे हैं। हालांकि तब जेपी कंपनी की ओर से बचे हुए भवनों, होटलों की सुरक्षा के लिए अलकनंदा नदी के किनारे चैकडैम बनाए गए थे, जिसके बाद कटाव कुछ हद तक रुक गया था। मगर इस वर्ष भारी बारिश के बाद अलकनंदा नदी का जलस्तर बढ़ने से पांडुकेश्वर में कई होटलों व आवासीय भवनों को फिर से खतरा पैदा हो गया है। पांडुकेश्वर गांव निवासी विजया देवी मेहता का कहना है कि इस साल की बरसात में भी अलकनंदा नदी से लगातार कटाव होने के कारण कई आवासीय भवन व होटल खतरे की जद में हैं। लोग दिन में तो यहां रह रहे हैं। मगर रात्रि को खतरे को भांपते हुए अन्य स्थानों पर शरण लेनी पड़ रही है। होटल व्यवसायी अर¨वद शर्मा का कहना है कि नदी के कटाव से कई होटल खतरे की जद में हैं। यदि तत्काल सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध न किए गए तो भविष्य में व्यापक नुकसान हो सकता है। मामले में ¨सचाई विभाग के अधिशासी अभियंता बहादुर ¨सह का कहना है कि खतरे वाले स्थानों पर सुरक्षा दीवार की कार्ययोजना प्रस्तावित है। धनराशि आवंटन के बाद सुरक्षा दीवार का निर्माण कराया जाएगा।