मकर संक्रांति पर खुले आदिबदरी मंदिर के कपाट
पंचबदरी में प्रमुख आदिबदरी मंदिर के कपाट पौराणिक परंपरा के अनुसार पौष माह में बंद रहने के बाद मकर संक्रांति पर श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिए गए।
संवाद सूत्र, कर्णप्रयाग: पंचबदरी में प्रमुख आदिबदरी मंदिर के कपाट पौराणिक परंपरा के अनुसार पौष माह में बंद रहने के बाद मकर संक्रांति पर श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिए गए। इस मौके पर कोरोना संक्रमण के चलते परिसर में अधिक भीड़ नही रही। समीप के ग्रामीण नियमानुसार मंदिर में पूजा को पहुंचे।
मंदिर के पुजारी चक्रधर थपलियाल ने बताया पौष माह में मंदिर कपाट बंद रहने के बाद मकर संक्रांति पर खुलने की परंपरा है। इस दौरान मंदिर परिसर में नौ दिवसीय महाभिषेक कार्यक्रम होता है, लेकिन बीते दो साल से कोविड के चलते धार्मिक अनुष्ठान वृहद रूप से आयोजित नहीं हो सका है। शुक्रवार को मंदिर के पुजारी और मंदिर समिति पदाधिकारियों की मौजूदगी में मकर संक्रांति पर परंपरागत वैदिक मंत्रौच्चार के साथ आदिबदरी के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए। इस मौके पर मंदिर में महिला व युवक मंगल दल ने भजन-कीर्तन के कार्यक्रम सूक्ष्म रूप से आयोजित हुए। गर्भगृह में ब्रह्म मुहूर्त से पूर्व पुजारी चक्रधर थपलियाल ने आदिबदरी नाथ का घृत कंबल उतारा और भगवान आदिबदरी को सप्तसिधु के जल से स्नान कर मंत्रोच्चार के साथ पीतवस्त्र , मुकुट-क्रीट, छत्र, रोली, चंदन, कुमकुम से भगवान का श्रृंगार किया। पंच ज्वाला आरती के बाद फिर प्रात:काल चार बजे माघ मास के प्रथम श्रृंगार दर्शन के लिए घंटे-घडि़याल और शंखकी ध्वनि के साथ मंदिर के कपाट खोल दिए गए। इससे पूर्व थापली गांव के ग्रामीणों के साथ श्रद्धालुओं ने सामूहिक कड़ाह भोग तैयार किया। मंदिर समिति के अध्यक्ष विजयेश नवानी ने बताया कि कोविड के कारण इस बार भव्य रूप से कपाट उद्घाटन महाभिषेक समारोह आयोजित नहीं किया जा सका। अगले वर्ष इसे भव्य रूप से आयोजित किया जाएगा। इस अवसर पर ब्रिजेश कुंवर, नरेंद्र चाकर, आनंद नेगी, नरेश बरमोला, गैंणा सिंह, विनोद बरमोला, संतोष यादव, संतोष चौहान, विजय चमोला उपस्थित थे।