रम्माण में गूंजे पारंपरिक वाद्य यंत्र व जागर
संवाद सूत्र, जोशीमठ : सलूड़ डुंग्रा गांव में गुरुवार को विश्व सांस्कृतिक धरोहर घोषित रम्माण मेले का आ
संवाद सूत्र, जोशीमठ : सलूड़ डुंग्रा गांव में गुरुवार को विश्व सांस्कृतिक धरोहर घोषित रम्माण मेले का आयोजन किया गया। मेले में पारंपरिक वाद्य यंत्रों व जागरों के बीच एक ही दिन में पूरी रामायण का मंचन किया गया। इस मेले की खास बात यह रही कि बिना बोले ही पात्रों ने मुखौटा नृत्य के जरिये पूरी रामायण को दर्शकों के सामने प्रस्तुत किया। सलूड़ डुंग्रा गांव में हर साल अप्रैल माह में रम्माण अर्थात रामायण का आयोजन होता है।
गुरुवार को सलूड़ डुंग्रा गांव के आराध्य देवता भूमि क्षेत्रपाल मंदिर के प्रांगण में रम्माण मेले का आयोजन हुआ। बदरीनाथ विधानसभा के विधायक महेंद्र प्रसाद भट्ट ने पूजा अर्चना के बाद मेले का शुभारंभ किया। वाहन से सलूड़ डुंग्रा गांव पहुंचे विधायक ने सड़क की खराब स्थिति पर ¨चता जताते हुए कहा कि शीघ्र ही शासन से इस सड़क की मरम्मत को लेकर वार्ता की जाएगी। विधायक ने अपनी विधायक निधि से सलूड़ डुंग्रा इंटर कॉलेज में फर्नीचर खरीद के लिए दो लाख रुपये देने की घोषणा की। रम्माण मेले का शुभारंभ राम जन्म के साथ हुआ। 18 ढोल दमाऊं, आठ भौंकरों की थाप पर रम्माण मेले का प्रस्तुतिकरण किया गया। इस मेले में भगवान सूर्य, गणेश, नारद, नृ¨सह व अन्य देवी देवता भी अपने अवतारी पुरुषों पर अवतरित हुए। मेले खास आकर्षण का केंद्र बण्या बणियाण, मोर मोरिन, कुरजोगी नृत्य रहा। कुरजोगी नृत्य में पात्र ने मेले में आए लोगों पर कूरा अर्थात एक विशेष प्रकार की घास लगाई। इस घास को प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है। मेले में आयोजन समिति के संरक्षक डॉ. कुशल ¨सह भंडारी, कुलदीप चौहान, भगत ¨सह कुंवर, भरत ¨सह कुंवर समेत कई लोग मौजूद थे।
सड़क रही दोपहर तक बंद
विश्व धरोहर रम्माण मेले के आयोजन को लेकर शासन प्रशासन गंभीर नहीं है। सलूड़ डुंग्रा मोटर मार्ग बुधवार रात्रि से भूस्खलन से गढ़ी मंदिर के पास अवरुद्ध था। लोनिवि इसे गुरुवार दोपहर में खोल पाया। जिससे श्रद्धालु रम्माण मेले में पहुंचने में पांच किमी पैदल ही नापनी पड़ी।