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140 यात्रियों ने किए बदरी-केदार में दर्शन

प्रदेश सरकार की गाइडलाइन के अनुसार बुधवार से उत्तराखंडवासियों के लिए चारधाम यात्रा शुरू हो गई।

By JagranEdited By: Published: Wed, 01 Jul 2020 10:34 PM (IST)Updated: Thu, 02 Jul 2020 06:11 AM (IST)
140 यात्रियों ने किए बदरी-केदार में दर्शन
140 यात्रियों ने किए बदरी-केदार में दर्शन

जागरण टीम, गढ़वाल: प्रदेश सरकार की गाइडलाइन के अनुसार बुधवार से उत्तराखंडवासियों के लिए चारधाम यात्रा शुरू हो गई। बदरीनाथ धाम में पहले दिन 70 लोगों ने दर्शन किए। इनमें 25 यात्री अन्य जिलों के हैं। केदारनाथ धाम भी पहले दिन 70 यात्री बाबा के दर्शनों को पहुंचे। इनमें 36 यात्री प्रदेश के विभिन्न जिलों के थे। जबकि, गंगोत्री व यमुनोत्री धाम में एक भी यात्री दर्शनों को नहीं पहुंचा। दोनों धाम के तीर्थ पुरोहित भी यात्रा शुरू किए जाने का विरोध कर रहे हैं।

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राज्यभर के लोगों को यात्रा की अनुमति दिए जाने के बाद पहले दिन कुल 70 लोगों ने भगवान बदरी विशाल के दर्शन किए। इनमें 45 यात्री चमोली और 25 यात्री ऋषिकेश, देहरादून व अल्मोड़ा समेत अन्य मैदानी जिलों के हैं। सभी यात्रियों को दर्शन करने के लिए प्रार्थना मंडप में एक-एक मिनट का समय दिया गया। दर्शनों के बाद प्रशासन ने सभी यात्रियों को जोशीमठ वापस लौटा दिया। प्रशासन के दावों के बावजूद धाम में यात्रा व्यवस्थाएं न होने से यात्रियों को परेशानी भी झेलनी पड़ी। चौखुटिया निवासी गिरीश चतुर्वेदी व पुष्कर कांडपाल और नत्थनपुर (देहरादून) निवासी अजीत नेगी का कहना था कि धाम में चाय-नाश्ता तो छोड़िए, पीने के पानी का भी इंतजाम नहीं है। उधर, जिलाधिकारी स्वाति एस.भदौरिया ने बताया कि धाम में 600 से अधिक लोगों को ठहराने की व्यवस्था है, लेकिन फिलहाल यात्रियों को रुकने की अनुमति नहीं दी जा रही। पुलिस अधीक्षक यशवंत सिंह चौहान ने बताया कि यात्रियों की सुविधा के लिए धाम में पुलिस की ओर से लंगर सेवा शुरू की जा रही है।

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प्रसाद के रूप में दी जा रही तुलसी की पत्तियां

बदरीनाथ धाम में श्रद्धालुओं के प्रसाद चढ़ाने और मंदिर की घंटियां बजाने पर पाबंदी है। उन्हें चंदन का टीका भी नहीं लगाया जा रहा और प्रसाद के नाम पर दूर से ही तुलसी की पत्तियां भेंट की जा रही हैं। इसके अलावा शाम चार बजे के बाद यात्री लामबगड़ स्लाइड जोन से आगे नहीं जा सकते। जबकि, बदरीनाथ धाम से उन्हें शाम सात बजे से पहले जोशीमठ के लिए वापसी करनी होगी।

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मंदिर को खोलने व बंद करने का समय बदला

बदरीनाथ मंदिर के खुलने व बंद करने के समय भी बदलाव किया गया है। पहले सुबह पांच से दस बजे तक मंदिर खुला रहता था, लेकिन अब दोपहर 12 बजे तक मंदिर को खुला रखा जा रहा है। इसी तरह पहले दोपहर के विश्राम के बाद शाम पांच बजे मंदिर खोला जाता था, लेकिन अब दोपहर बाद तीन बजे मंदिर को खोला जा रहा है।

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केदारनाथ में सिर्फ एक दिन रुकने की अनुमति

रुद्रप्रयाग: केदारनाथ धाम में पहले दिन अल्मोड़ा, चंपावत, देहरादून, बागेश्वर, हरिद्वार, नैनीताल और पौड़ी जिलों से 36 यात्री दर्शनों को पहुंचे।

इसके अलावा 34 यात्री रुद्रप्रयाग जिले से थे। सभी को शारीरिक दूरी के नियमों के तहत दो-दो की संख्या में सभामंडप से बाबा केदार के दर्शन कराए गए। यात्रा गाइडलाइन के अनुसार कोई भी यात्री सिर्फ एक दिन ही केदारनाथ में रुक सकता है। उधर, जिलाधिकारी वंदना सिंह ने बताया कि कंटेनमेंट और बफर जोन के अंतर्गत आने वाले किसी भी व्यक्ति को धाम में प्रवेश की अनुमति नहीं है। साथ ही केदारनाथ आने से पूर्व यात्रियों को चारधाम देवस्थानम बोर्ड की वेबसाइट ढ्डड्डस्त्रह्मद्बठ्ठड्डह्लद्ध-द्मद्गस्त्रड्डह्मठ्ठड्डह्लद्ध.द्दश्र1.द्बठ्ठ पर अनिवार्य रूप से पंजीकरण कराना होगा। यात्रा के दौरान ई-पास, अपलोड की गई फोटो आइडी व उत्तराखंड में निवास का प्रमाण पत्र भी यात्री को साथ रखना होगा। बताया कि फिलहाल 65 वर्ष से अधिक और दस वर्ष से कम आयु वालों को यात्रा की अनुमति नहीं है।

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गंगोत्री-यमुनोत्री में पसरा रहा सन्नाटा

उत्तरकाशी: गंगोत्री व यमुनोत्री धाम में एक भी यात्री दर्शनों को नहीं पहुंचा। इसके चलते दोनो धाम और पड़ावों में सन्नाटा पसरा रहा। जानकीचट्टी से लेकर यमुनोत्री जाने के लिए तो अभी घोड़ा-खच्चर व डंडी-कंडी की निविदा तक नहीं हुई है। यहां तक कि दोनों धाम में यात्रियों के लिए स्वास्थ्य संबंधी व्यवस्थाएं भी नहीं की गई हैं। हालांकि, जिला प्रशासन का दावा है कि गंगोत्री धाम व जानकीचट्टी में स्थित गढ़वाल मंडल विकास निगम के बंगलों में यात्रियों के खाने-ठहरने की व्यवस्था की गई है।


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