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संस्कृत भाषा ही नही संस्कार व विचारधारा है

जागरण संवाददाता, बागेश्वर : जिले में दो दिवसीय सस्कृत छात्र प्रतियोगिता शुरु हो गई हैं। मौके प

By JagranEdited By: Published: Wed, 12 Sep 2018 05:07 PM (IST)Updated: Wed, 12 Sep 2018 05:07 PM (IST)
संस्कृत भाषा ही नही संस्कार व विचारधारा है
संस्कृत भाषा ही नही संस्कार व विचारधारा है

जागरण संवाददाता, बागेश्वर : जिले में दो दिवसीय सस्कृत छात्र प्रतियोगिता शुरु हो गई हैं। मौके पर संस्कृत को वैज्ञानिक भाषा बताते हुए कहा कि यह सिर्फ भाषा ही नही बल्कि संस्कार व विचारधारा हैं। अपनी पहचान को बचाने का प्रयास मिलकर करना होगा।

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मुख्य शिक्षाधिकारी कार्यालय में आयोजित संस्कृत छात्र प्रतियोगिता का उद्घाटन विधायक चंदन राम दास में दीप जलाकर किया। उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा समृद्ध है। इसको बचाने के लिए सभी को प्रयास करना होगा। नगरपालिका अध्यक्ष गीता रावल ने कहा कि संस्कृत के संवद्धन व संरक्षण के लिए उत्तराखंड संस्कृत अकादमी का प्रयास सराहनीय हैं। संस्कृत प्रचीनतम व सभी भाषाओं की जननी हैं। सीईओ हरीश रावत ने कहा कि संस्कृत के बिना जीवन शून्य हैं। भारतीयता व आत्मरक्षा के लिए संस्कृत का ज्ञान आवश्यक हैं। आगे भी इस तरह के आयोजन होते रहेंगे ताकि अधिक से अधिक लोग संस्कृत को समझ व पढ़ सके। पहले दिन वरिष्ठ वर्ग की संस्कृत, नृत्य, नाटक, समूहगान, आशु भाषण, वाद विवाद व श्लोकोच्चारण सहित कुल 6 प्रतियोगिता आयोजित हुई। वरिष्ठ वर्ग की नृत्य प्रतियोगिता में कंट्रीवाइड पब्लिक सकूल बागेश्वर प्रथम, राबाइंका ऐठाण द्वितीय व राबाइंका पाये तीसरे स्थान पर रहे। इस अवसर पर दीप चंद्र जोशी, डॉ. रमेश चंद्र कांडपाल, डॉ. ललित तिवारी, डॉ. निलेश उपाध्याय, राजेश आगरी, मदन मोहन पांडे, महेश चंद्र पंत, दिनेश चंद्र जोशी, ममता जोशी, इंद्रा रावत, डॉ. यशोदा जोशी, दिनेश चंद्र नैनवाल, किरण वाणी आदि लोग मौजूद थे।


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