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उत्तरायणी मेले में उमड़ी श्रद्धा, मकर स्नान के बाद पूजा-अर्चना

बागेश्वर में धाíमक उत्तरायणी मेले में श्रद्धालुओं का सुबह चार बजे से ही तांता लग गया ।

By JagranEdited By: Published: Thu, 14 Jan 2021 11:46 PM (IST)Updated: Thu, 14 Jan 2021 11:46 PM (IST)
उत्तरायणी मेले में उमड़ी श्रद्धा, मकर स्नान के बाद पूजा-अर्चना
उत्तरायणी मेले में उमड़ी श्रद्धा, मकर स्नान के बाद पूजा-अर्चना

जागरण संवाददाता, बागेश्वर: धाíमक उत्तरायणी मेले में श्रद्धालुओं का सुबह चार बजे से ही तांता लगा रहा। मकर स्नान के बाद उन्होंने बाबा बागनाथ के दर्शन कर पूजा-अर्चना की। सुख, समृद्धि और ऐश्वर्य की कामना भगवान शंकर से की। सूरजकुंड में यज्ञोपवीत संस्कार करने के लिए लोगों का तांता लगा रहा।

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मकर संक्रांति पर स्नान-दान करने का विशेष महत्व है। श्रद्धालुओं ने सरयू-गोमती और विलुप्त सरस्वती के संगम पर स्नान कर दान किया। पंडित मोहन चंद्र लोहुमी ने बताया कि मकर संक्रांति के दिन भगवान विष्णु ने पृथ्वी लोक पर असुरों का वध कर उनके सिरों को काटकर मंदरा पर्वत पर दफन कर दिया था। तभी से भगवान विष्णु की इस जीत को मकर संक्रांति पर्व के रूप में मनाया जाता है। सूर्यदेव को जल, लाल फूल, लाल वस्त्र, गेहूं, गुड़, अक्षत, सुपारी और दक्षिणा अíपत की जाती है। गुरुवार की सुबह चार बजे से श्रद्धालुओं पहुंचने लगे। उन्होंने सरयू तट पर स्नान किया और बागनाथ मंदिर में पूजा अर्चना की। बागनाथ, काल भैरव और वाणेश्वर मंदिर में श्रद्धा का तांता दिनभर लगा रहा।

सरयू तट के अलावा सूरजकुंड में जनेऊ संस्कार आयोजित हुए। सुदूरवर्ती गांवों से यहां बड़ी संख्या में लोग पहुंचे। उन्होंने अपने पुत्रों का यज्ञोपवीत संस्कार कराया। पंडितों के अनुसार उपनयन संस्कार के अंतर्गत ही जनेऊ पहनी जाती है। जिसे यज्ञोपवीत संस्कार भी कहा जाता है। मुंडन और पवित्र जल में स्नान भी इस संस्कार के अंग होते हैं। प्राचीनकाल में पहले शिष्य, संत और ब्राह्मण बनाने के लिए दीक्षा दी जाती थी। इस दीक्षा देने के तरीके में से एक जनेऊ धारण करना भी होता था। इधर, एसपी मणिकांत त्रिपाठी ने मेला स्थल का निरीक्षण किया। सूरजकुंड में आने वाले श्रद्धालुओं की थर्मल स्क्रीनिग की गई।

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माघी खिचड़ी का आयोजन किया

हिन्दू संगठनों ने सरयू तट पर माघी खिचड़ी का आयोजन किया। मेले में स्नान और पूजा-अर्चना के बाद लोगों ने प्रसाद के रूप में माघी खिचड़ी का सेवन किया। पंडित घनानंद कांडपाल शास्त्री के अनुसार ने बताया कि खिलजी के आक्रमण के दौरान नाथ योगियों के पास खाने के लिए कुछ नहीं था। तब बाबा गोरखनाथ ने दाल, चावल और हरी सब्जियों को एक साथ पकाने की सलाह दी थी। इस दिन से खिचड़ी खाने और बनाने का रिवाज चला आ रहा है। खिचड़ी को पौष्टिक आहार के रूप में भी ग्रहण किया जाता है।

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बच्चों ने कौओं को किया आमंत्रित

जिले में नगर से लेकर ग्रामीण अंचलों तक घुघुतिया त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है। गुरुवार को सरयू नदी के इस पार के लोगों ने घुघुत (आटे से बना विशेष पकवान) बनाए। जबकि उस पार के बच्चों ने कौओं को बुलाया। सुबह के समय उस पार के ग्रामीण क्षेत्र बच्चों के कौओं को पकवान खिलाने के लिए आमंत्रित किए जाने वाले गीत की ध्वनि से गुंजायमान रहे। घुघुतिया त्योहार कुमाऊं का पारंपरिक उत्सव है। जिले में इस त्योहार को दो दिन मनाया जाता है। सरयू नदी के पार के क्षेत्र में पौष माह की अंतिम तिथि को घुघुत बनाएं जाते हैं। यहां मकर संक्रांति के दिन सुबह कौआ बुलाकर उसे घुघुत खिलाते हैं। सरयू नदी के इस पार मकर संक्रांति के दिन घुघुत बनाने और माघ मास की दूसरी तिथि को कौआ आमंत्रित करने का रिवाज है।

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जागरण की रात बैर-भगनौल के गायन की रही धूम

-गंगा स्नान को आए ग्रामीण क्षेत्र के लोगों ने किया आयोजन जागरण संवाददाता, बागेश्वर: जागरण की रात गंगा स्नान को आए ग्रामीण क्षेत्र के लोगों ने बैर-भगनौल, चांचरी आदि का आयोजन किया। रातभर कुमाऊं की पुरानी परंपरा की धूम रही। वहीं, बागनाथ मंदिर में भी भक्तों ने भजन आदि का आयोजन किया।

उत्तरायणी कौतिक पौराणिक, सांस्कृतिक, व्यापारिक, राजनीतिक विधाओं को पिरोए हुए है। बैर-भगनोल गायन की परंपरा उत्तरायणी मेले को चार चांद लगा देती है। इस बार धाíमक मेले का आयोजन किया जा रहा है। बुधवार की रात चौक बाजार में बैर-भगनौल का आयोजन किया गया। लोगों ने तमाम भगनौल का गायन किया। जिसमें महिलाएं भी शामिल रही। खोल दे माता खोल भवानी धार मे किवाड़ा, उत्तरायणी कौतिक लगा सरयू किनारा समेत तमाम चांचरी का भी गायन किया गया। सुबह चार बजे तक इस विधा का आयोजन चलता रहा। उसके बाद श्रद्धालुओं ने सरयू में स्नान किया।

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मकर संक्रांति पर किसान बिल की प्रतियां सरयू नदी में बहाई

-आम आदमी पार्टी और सवाल संगठन के सदस्यों ने सरकार से बिल वापस लेने की मांग की जासं, बागेश्वर: गुरुवार को मकर संक्रांति पर्व पर किसान बिल को आम आदमी पार्टी और सवाल संगठन के सदस्यों ने सरयू नदी में बहाए। उन्होंने केंद्र सरकार से किसानों के हित में काम करने को कहा। उन्होंने कहा कि यदि किसानों के साथ अन्याय हुआ तो वह सहन नहीं होगा।

आप के प्रदेश उपाध्यक्ष बसंत कुमार के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने किसान बिल की प्रतियां सरयू नदी में बहाई। उन्होंने कहा कि किसानों के साथ उनकी पार्टी है। उन्होंने किसान बिल का काला कानून बताया और सरकार की बुद्धि-शुद्धि को हवन-पूजन किया। इस मौके पर हरक सिंह असवाल, पान सिंह मेहता, सुंदर सिंह मेहता, सुभाष चंद्र, दरवान सिंह, खीमानंद खुल्बे, महेश नगरकोटी, ललित बिष्ट, सुनील पांडे, कैलाश जोशी, महिपाल सिंह, सौरभ नगरकोटी, गिरीश कुमार, भुवन, मुकेश, आनंद कुमार, हरीश, मनीष, भुवन बिष्ट, बलवंत आर्या, विशन लाल, राजा वर्मा, मनोज कुमार आदि मौजूद थे। उधर, सवाल संगठन के केंद्रीय अध्यक्ष रमेश कृषक पांडे ने किसान बिल को काला कानून करार दिया।उन्होंने कहा कि बागनाथ केंद्र सरकार को अच्छी बुद्धि प्रदान करें। उन्होंने तीन कानून वापस लेने की मांग की और सरयू में बिल की प्रतियां बहा दी। इस मौके पर भास्कर पांडे, पूरन सिंह, मोहन सिंह, चंदन सिंह, सुमित्रा पांडे, गीता जोशी आदि मौजूद थे।

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राज्य आंदोलनकारियों ने सरयू में बहाई शासनादेश की प्रतियां

-जिला प्रशासन पर लगाया उपेक्षा का आरोप जासं, बागेश्वर: उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों ने मकर संक्रांति पर्व पर शासनादेश की प्रत्तियां सरयू नदी में बहाई। उन्होंने कहा कि सरकार ने राज्य आंदोलनकारियों के चिंहीकरण के लिए शासनादेश बनाया। जिसे अफसरों ने फाइलों में दबा दिया है। राज्य आंदोलनकारियों को प्रमाणपत्र निर्गत नहीं किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में व्यापक आंदोलन की शुरूआत की जाएगी।

राज्य आंदोलनकारी गोकुल जोशी के नेतृत्व में तमाम लोग गुरुवार को सरयू तट पर एकत्र हुए। उन्होंने जमकर नारेबाजी की और कहा कि राज्य आंदोलनकारियों की उपेक्षा हो रही है। मकर संक्रांति पर्व पर सरयू तट पर कुली बेगार का अंत हुआ था और वह इतिहास बना। उन्होंने कहा कि सरकार को राज्य आंदोलनकारियों को तत्काल प्रमाणपत्र निर्गत करने चाहिए। ताकि उनका सम्मान हो। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन जब तक जिले के आंदोलनकारियों को प्रमाणपत्र निर्गत नहीं करता है तब तक आंदोलन जारी रहेगा। इस मौके पर जीवन चौधरी, लीलाधर चौबे, दिनेश गुरुरानी, बची राम, केवलानंद, गिरीश पाठक, कैलाश पाठक आदि मौजूद थे।

इधर, राज्य आंदोलनकारी मोहन पाठक ने सरयू तट पर मौन धरना दिया। उन्होंने सुशीला तिवारी अस्पताल हल्द्वानी को एम्स के तर्ज पर विकसित करने और बागेश्वर जिला अस्पताल में सुशीला तिवारी अस्पताल जैसी सुविधाएं प्रदान करने की मांग की। इस मौके पर रमेश राम आदि मौजूद थे।

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उतरैणी कौतिक हिट बागनाथ जौंल, नुमैश की चर्खी घुमी सुणी औल भगनौल

-उत्तरायणी पर्व पर आयोजित हुई काव्य गोष्ठी

-कवियों ने कविताओं के जरिए किया मेले का वर्णन संवाद सूत्र, गरुड़: उत्तरायणी पर्व पर गरुड़ में काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। कवियों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से उत्तरायणी मेले के धाíमक, सांस्कृतिक व ऐतिहासिक महत्व का बखूबी वर्णन किया।

उत्तराखंड साहित्यकार समिति के अध्यक्ष मोहन जोशी की अध्यक्षता में आयोजित गोष्ठी का शुभारंभ करते हुए वरिष्ठ कवि गोपाल दत्त भट्ट ने कहा नीलम जल का मनहर दर्पण, गिरी शिखरों को करती अर्पण, मधुधार बहाती है कि सरयू बहती जाती है। युवा कवि मनोज खोलिया ने कहा आयो घुघुतिया पर्व मनाएं, सरयू में डुबकी लगाकर महादेव को जल चढ़ाए। कवि संतोष जोशी ने कामना करते हुए कहा रहे सदा जन के मन में शांति, मिलजुलकर मनाएं मकर संक्रांति। युवा कवयित्री आशा जोशी ने कहा आओ इस पर्व को मनाएं उल्लास से, एकजुटता व विश्वास से। युवा कवि सीएस बड़सीला ने अपनी कविता में कहा यहीं बहाया कुली बेगार याद दिलाता घुघुतिया त्यार। अध्यक्षता करते हुए कवि मोहन जोशी ने उत्तरायणी पर अपनी कविता में कहा उतरैणी कौतिक हिट बागनाथ जौंल नुमैश की चर्खी घुमी सुणी औल भगनौल। इस दौरान डा. हेम चंद्र दुबे, भुवन कैड़ा, जीवन दोसाद, रमेश पांडे, एडवोकेट डीके जोशी, ओमप्रकाश फुलारा, आनंद दुबे, बची गिरी, संतोष तिवारी आदि मौजूद थे।


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