ऐठाण नहर में पानी नहीं चलने से किसानों में आक्रोश
संवाद सूत्र कपकोट सात गांवों की जमीन को सींचने वाली ऐठाण नहर में छह साल बाद भी पानी नह
संवाद सूत्र, कपकोट : सात गांवों की जमीन को सींचने वाली ऐठाण नहर में छह साल बाद भी पानी नहीं चल पाया है। 2012-13 की आपदा में नहर ध्वस्त हो गई थी। जिसके बाद से इसकी मरम्मत के नाम पर लाखों रुपये खर्च हो चुके हैं। इसके बाद भी किसानों को खेती के लिए बारिश के पानी पर निर्भर रहना पड़ता है। उन्होंने विभाग से गेहूं की बुवाई से पूर्व नहर में पानी चलाने की मांग की। समस्या का निदान नहीं होने पर उग्र आंदोलन करने की चेतावनी दी। ऐठाण नहर की लंबाई 12 किमी है। जो खारबगड़ से शुरु होकर हिचैड़ी वार्ड तक की जमीन को सींचती है। छह साल पहले आपदा मे नहर टूट गई थी। जिसके बाद से लगातार इसकी मरम्मत के नाम पर रुपया खर्च किया जा रहा है। साल 2016-17 में भानी के पास पहाड़ दरकने से नहर का बड़ा भाग टूट गया था। पिछले साल विभाग ने उस स्थान पर पाइप लगाकर मरम्मत की थी, लेकिन रतमटिया के पास टूटी नहर को ठीक नहीं किया। जिसके चलते नहर में अब भी पानी नहीं चल रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि इस नहर से भानी, खाईबगड़, भराड़ी, बमसेरा, ऐठाण, पालीडुंगरा और हिचैड़ी की करीब 300 नाली जमीन की सिचाई होती थी। अब पानी नहीं चलने से किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। किसान किशोर ऐठानी, नंदन सिंह ऐठानी, मोहन सिंह, शेर सिंह, प्रकाश सिंह, गोविद राम, अमर राम आदि न गेहूं की बुवाई से पूर्व नहर की मरम्मत करने की मांग की। उन्होंने मांग पूरी नहीं होने पर विभाग के खिलाफ उग्र आंदोलन करने की भी चेतावनी दी। इधर, ईई सिचाई एके जोन ने कहा कि नहर की मरम्मत का प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजा जाएगा।