कौसानी में कवि पंत के नाम पर हो साहित्य अकादमी : जोशी
कौसानी/ गरुड़: कौसानी में जन्मे प्रसिद्ध छायावादी कवि सुमित्रानंदन पंत की 118 वीं जयंती उनके जन्म
कौसानी/ गरुड़: कौसानी में जन्मे प्रसिद्ध छायावादी कवि सुमित्रानंदन पंत की 118 वीं जयंती उनके जन्म स्थान में धूमधाम से मनाई गई। इस मौके पर कौसानी पहुंचे साहित्यकारों ने कवि पंत की मूíत पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धासुमन अíपत किए।
समारोह का शुभारंभ नगर पालिका अल्मोड़ा के पूर्व चेयरमैन प्रकाश चंद्र जोशी ने दीप प्रज्च्वलित कर किया।
पंत वीथिका कौसानी में आयोजित जयंती समारोह में बतौर मुख्य अतिथि नगर पालिका के पूर्व चेयरमैन प्रकाश चंद्र जोशी ने कहा कि कौसानी में कविवर पंत के नाम पर साहित्य अकादमी की स्थापना होनी चाहिए, ताकि यहां के साहित्यकारों और शोधार्थियों को उसका लाभ मिल सके। उन्होंने कहा कि अपनी बोली और भाषा को बचाने के लिए प्रत्येक को आगे आना होगा। अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार और पूर्व राज्यमंत्री गोपाल दत्त भट्ट ने कहा कि कवि पंत के नाम पर पुरस्कार शुरू किया जाय और प्रतिवर्ष एक साहित्यकार को सम्मानित किया जाय। उन्होंने पंत वीथिका को राजकीय संग्रहालय का दर्जा देने और शोधार्थियों के ठहरने के लिए गेस्ट हाउस बनाने की मांग भी की। वक्ताओं ने कौसानी में कवि पंत की आदमकद मूíत लगाए जाने और उनके जन्मदिन को वृहद रूप में मनाए जाने की मांग की। कार्यक्रम का संचालन साहित्यकार केएस डोलिया ने किया। इस दौरान साहित्यकार मोहन जोशी, चंद्रशेखर, रमेश बृजवासी, आरडी वैष्णव, जगदीश चंद्र भट्ट, बची गिरी, वीथिका प्रभारी डॉ ज्ञान प्रकाश तिवारी, बसन्ती बहन, कांता बहन समेत दर्जनों साहित्यकार और गणमान्य लोग मौजूद थे। ============= लक्ष्मी आश्रम की बहनों ने पेश किए रंगारंग कार्यक्रम
गरुड़: कवि पंत की 118 वीं जयंती पर पंत वीथिका में आयोजित कार्यक्रम में लक्ष्मी आश्रम कौसानी की बहनों ने अनेक रंगारंग कार्यक्रम पेश किए। इसके अलावा उन्होंने कवि पंत के जीवन पर आधारित नाटक प्रस्तुत कर श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। स्थानीय कलाकारों ने भी कार्यक्रम पेश किए। इस मौके पर आयोजित निबंध प्रतियोगिता के विजेता प्रतिभागियों को पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। ============ महाकवि हे सुमित्रानंदन जब वाणी को शब्द दिए..
गरुड़: कवि पंत की 118 वीं जयंती पर पंत वीथिका कौसानी में काव्य गोष्ठी आयोजित की गई। गोष्ठी की शुरुआत करते हुए वरिष्ठ कवि रमेश बृजवासी ने कहा- Þ एकांत घर में सोया था, दरवाजों की आहट ने जगा दी नींद Þ युवा कवि चंद्रशेखर ने कहा कि - Þ कौसानी की पावन भूमि में हृदय के तार झंकृत हुए, महाकवि हे सुमित्रानंदन जब वाणी को शब्द दिए Þ वरिष्ठ कवि मोहन जोशी ने Þ मुश्किल नहीं है कोई गर साथ दे सको Þ गजल सुनाई। कवि बची गिरी ने Þ लागणौ दिन पन्याई में यैगी .Þ कविता पेश की। वरिष्ठ कवि गोपाल दत्त भट्ट ने दोहे सुनाते हुए कहा- Þ सुंदर संगत शेर की भाजो हाव ब्याव, निखती संगत स्याव की हुहा राति ब्याव Þ संचालन करते हुए शिक्षक कैलाश ¨सह डोलिया ने न्योली सुनाकर सभी को मंत्र मुग्ध कर दिया। वीथिका प्रभारी डॉ. ज्ञान प्रकाश तिवारी ने सभी का आभार व्यक्त किया