22 हजार अभ्यर्थियों का 21 लाख से अधिक रोडवेज ने दबाया
जागरण संवाददाता बागेश्वर परिवहन निगम की कार्यप्रणाली से बेरोजगारों में भारी रोष है। बीत
जागरण संवाददाता, बागेश्वर : परिवहन निगम की कार्यप्रणाली से बेरोजगारों में भारी रोष है। बीते दस सालों से निगम ना तो परिचालकों के पदों पर कोई परीक्षा करा रहा है ना ही वह अभ्यर्थियों का पैसा लौटा रहा हैं। परिचालक के 218 पदों के लिए 22033 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था। जिनका निगम 21 लाख 34 हजार 165 रुपये अभी तक दबाए बैठा है।
सूचना अधिकार अधिनियम से परिवहन निगम की कार्य गुजारी सामने आई है। बीते 2008 में परिवहन निगम ने परिचालक के 216 पदों सहित कई अन्य पदों के लिए विज्ञप्ति जारी की थी। अन्य पदों पर तो जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के माध्यम से परीक्षा संपन्न करा ली गई, लेकिन परिचालक के पदों पर भर्ती संपन्न नहीं हुई। परिचालक के पदों के लिए तब 22033 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था। परीक्षा ना करा पाने के लिए संबंधित एजेंसी ने 21 लाख 34 हजार 165 रुपये परिवहन निगम को वापस लौटा दिया, लेकिन यह पैसा अिर्भ्यथयों को नही लौटाया गया। परिचालक पद पर सामान्य अभ्यर्थियों के लिए आवेदन शुल्क 170 रुपये, एससी-एसटी को 100 रुपया व निशक्त जन के अभ्यर्थियों के लिए आवेदन शुल्क 50 रुपये निर्धारित किया गया था। निगम की इस कार्यप्रणाली से बेरोजगार युवक-युवतियों में रोष व्याप्त हैं।
आरटीआइ कार्यकर्ता व अभ्यर्थी राजेश उपाध्याय निवासी देवलधार ने बताया कि यह बेरोजगारों के साथ खिलवाड़ है। ना तो परीक्षा हो रही है ना ही उनका पैसा वापस दिया जा रहा है। पिछले 10 सालों से इन पैसों का ब्याज भी निगम ही खा रहा है। इस पूरे घोटाले की जांच कर दोषियों को सजा होनी चाहिए।
----
पूरे मामले की जांच की जाएगी। यह 10 साल पुराना मामला है अभी मेरे संज्ञान में नहीं है। कोई भी गड़बड़ी हुई होगी तो उस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
-यशपाल आर्य, परिवहन मंत्री, उत्तराखंड सरकार