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सरकार की नीतियों के विरोध में नोटा का बटन बना विकल्प

चंद्रशेखर द्विवेदी बागेश्वर सरकार के विकास प्राधिकरण की नीति को अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ संस

By JagranEdited By: Published: Fri, 15 Mar 2019 11:23 PM (IST)Updated: Fri, 15 Mar 2019 11:23 PM (IST)
सरकार की नीतियों के विरोध में नोटा का बटन बना विकल्प
सरकार की नीतियों के विरोध में नोटा का बटन बना विकल्प

चंद्रशेखर द्विवेदी, बागेश्वर:

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सरकार के विकास प्राधिकरण की नीति को अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ संसदीय क्षेत्र के लोगों ने काला कानून करार कर दिया है। क्षेत्रवासियों ने लोकसभा चुनाव में विकास प्राधिकरण के विरोध में जनप्रतिनिधियों व सरकार को आईना दिखाने के लिए नोटा के बटन का प्रयोग करने का निर्णय लिया हैं। पहाड़ की भौगोलिक परिस्थितियों का अध्ययन किए बिना करीब डेढ़ साल पहले अल्मोड़ा, बागेश्वर, पिथौरागढ़, चम्पावत में विकास प्राधिकरण लागू कर दिया गया। जैसे ही यह लागू हुआ इसकी शर्तों की जटिलता ने लोगों के घर बनाने का सपना अधूरा रह गया। यह नियम सरकार ने एक विज्ञप्ति के जरिये लगाया। नियम से पहले क्षेत्रवासियों से किसी प्रकार की राय नही ली गई। अब सरकार के लिए विकास प्राधिकरण गले की फांस बनते जा रहा है। पिछले एक साल से हर जिले में विकास प्राधिकरण को काला कानून बताते हुए लोग सड़कों पर हैं। आए दिन प्रदर्शन हो रहे हैं। कुछ संगठन तो इसके खिलाफ हाई कोर्ट भी चले गए हैं। विकास प्राधिकरण से जुड़े आंदोलनकारियों का कहना है कि इस मुद्दे पर किसी भी दल ने उनका सहयोग नही दिया। ऐसे में इन पाíटयों को वोट देने से क्या फायदा। वोट जरूर देंगे। जवाब देना है नोटा का प्रयोग किया जाएगा।

================ वन टाइम सेटेलमेंट से अवैध कब्जेधारियों को लाभ बागेश्वर: विकास प्राधिकरण के आंदोलन को देखते हुए सरकार बैकफुट पर आई। अब वह 31 मार्च तक वन टाइम सेटेलमेंट स्कीम लाई हैं। इसके तहत किसी ने अगर गलत निर्माण कार्य किया है तो वह पेनाल्टी जमा करे और मामला सुलझा ले। इससे अवैध निर्माण करने वालों व कब्जेधारियों को फायदा हो रहा है। पहाड़ की भौगोलिक परिस्थितियों में ओटीएस न्यायोचित नही है।

------------ बागेश्वर में 2031 महायोजना लागू बागेश्वर जिले के लोग विकास प्राधिकरण के साथ महायोजना 2031 का भी विरोध कर रहे हैं। महायोजना के तहत रातों रात भू-उपयोग ही बदल दिया गया हैं। जिससे आने वाले समय में कोई भी अपना घर नही बना सकता हैं। आंदोलनकारियों ने जब इस संबंध में सूचना अधिकार मांगा तो भ्रामक जानकारी मिली। अब यह मामला भी हाई कोर्ट में जा रहा है।

============= -- विकास प्राधिकरण के नियम---- - 2 मीटर रास्ते की बाध्यता - हर घर में पाíकंग अनिवार्य - 200 वर्ग मीटर में घर आदि बनाने के लिए 1 प्रतिशत लेबर सेस - लेबर सेस करीब 47 हजार रुपया, 200 वर्ग मीटर तक घर आदि बनाने में - विकास शुल्क, भूमि उपविभाजक शुल्क, अंबार शुल्क आदि में कुल खर्च करीब 50 हजार - 5 विभागों से एनओसी लेनी अनिवार्य - हर कार्य के लिए टाउन प्लानर की सहमति को हल्द्वानी चक्कर


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