बेटे को आर्मी ऑफिसर बनाकर लौटूंगी गांव
घनश्याम जोशी बागेश्वर कारगिल शहीद नायक मोहन सिंह की पत्नी उमा देवी देश भक्ति से ओतप्रोत ह
घनश्याम जोशी, बागेश्वर
कारगिल शहीद नायक मोहन सिंह की पत्नी उमा देवी देश भक्ति से ओतप्रोत हैं। उन्होंने अपने मोबाइल की कॉलर टोन भी देशभक्ति की गीतों से सजाई है। वह बेटे को आर्मी ऑफिसर बनाने के लिए जद्दोजहद कर रही हैं। कहतीं हैं कि देश सेवा के लिए देश के युवाओं को आर्मी में जाना होगा और शहीदों के परिवारों के लिए होने वाली घोषणाएं पूरी होनी चाहिए।
कपकोट तहसील के कर्मी गांव निवासी शहीद नायक मोहन सिंह 1999 में कारगिल में शहीद हो गए। वे अपने पीछे छोटे-छोटे तीन बच्चे और पत्नी उमा देवी को रोता-बिलखता छोड़ गए, लेकिन उनकी पत्नी ने हार नहीं मानी और बच्चों का पठन-पाठन दुरुस्त करने घर से निकल पड़ी और हल्द्वानी को अपना मुकाम बनाया। उमा देवी ने कहा कि वह पति की याद कभी दिलों-दिमाग से भुला नहीं सकती है। उनसे उनकी कई यादें जुड़ी हैं लेकिन उन्हें गर्व है कि उनका परिवार देश के शहीद के नाम से जाना जा रहा है। वह अपने बेटे प्रहलाद सिंह को आर्मी ऑफिसर बनाने के लिए आतुर हैं। स्नातक की पढ़ाई पूरी कराई है और अब सीडीएस की कोचिग कर रहा है। जबकि बड़ी बेटी रंजना की शादी हो गई है और छोटी बेटी मिताली एमफार्मा कर रही है।
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गांव छोड़ने की टीस
शहीद की पत्नी उमा देवी को कर्मी गांव छोड़ने की टीस है। पति के शहीद होने के बाद देवर गोपाल भी गांव छोड़कर कपकोट आ गए और गांव का घर वीरान हो गया। गांव की हरियाली और पति के अवकाश पर घर आने की खुशी वह कभी भुला नहीं सकती हैं। बच्चों को मुकाम तक पहुंचाना उनका लक्ष्य है और वह फिर माटी की तरफ लौटेंगी। कहा कि शहीद के परिवार के कम से कम एक सदस्य को सरकारी नौकरी सरकार ने देनी चाहिए।