जाखनी गांव बन रहा बेमौसमी सब्जी का हब
उद्यान विभाग का ड्रीम प्रोजेक्ट धरातल पर दिखने भी लगा है। जाखनी गांव के 40 परिवार बागवानी से अपनी किस्मत बदलने में जुट गए हैं। 15 पालीहाउस बनाकर बेमौसमी सब्जी उत्पादन कर रहे हैं। गांव के 200 से अधिक लोगों को इससे रोजगार मिला है। महिलाओं के पारंपरिक खेती से हटकर काम करने से गांव में खुशहाली आने लगी है।
घनश्याम जोशी, बागेश्वर
उद्यान विभाग का ड्रीम प्रोजेक्ट धरातल पर दिखने भी लगा है। जाखनी गांव के 40 परिवार बागवानी से अपनी किस्मत बदलने में जुट गए हैं। 15 पालीहाउस बनाकर बेमौसमी सब्जी उत्पादन कर रहे हैं। गांव के 200 से अधिक लोगों को इससे रोजगार मिला है। महिलाओं के पारंपरिक खेती से हटकर काम करने से गांव में खुशहाली आने लगी है।
जाखनी गांव में वर्षों से लगभग 50 नाली से अधिक भूमि बंजर पड़ी थी। उद्यान विभाग ने गांव का रुख किया। गांव के रमन सिंह मेहता से मुलाकात की। बंजर भूमि के बारे में जानकारी हासिल की। उन्होंने बताया कि यह सभी ग्रामीणों की भूमि है। बंदरों से फसल को नुकसान हो रहा था। लोगों ने बुआई छोड़ दी और खेत लंबे समय से बंजर हैं। उद्यान विभाग ने गांव में बैठक की। बेमौसमी सब्जियों के उत्पादन की बारीकियां बताई। 15 पालीहाउस ग्रामीणों को 80 प्रतिशत राज्य सहायता पर उपलब्ध कराए। युवा पीढ़ी ने तकनीकी खेती करने का मन बनाया और अब सब्जियों का उत्पादन होने लगा है। टमाटर की फसल उम्दा
खीरा, शिमला मिर्च के साथ ही पालीहाउस में टमाटर की खेती उम्दा हो रही है। गोबर की खाद से उत्पादित सब्जी का स्वाद ही कुछ और है। इसके अलावा यहां बंद गोभी और मटर की फसल भी बेहतर हो रही है। गांव की विमला देवी, कमला देवी, सरस्वती देवी आदि ने बताया कि उद्यान विभाग से बीज, प्रशिक्षण आदि निश्शुल्क दिया गया। उद्यान सचल दल का एक कर्मचारी प्रत्येक सप्ताह प्रशिक्षण देने आ रहे हैं। तीन माह के भीतर जिला उद्यान अधिकारी ने तीन बार निरीक्षण कर लिया है। जाखनी गांव सब्जी उत्पादन का हब बन रहा है। कृषक अंश के अलावा अगले वर्ष दोगुनी सब्जियां उत्पादित कराने का लक्ष्य है। किसानों से सब्जी खरीदने के लिए लोग गांव आने लगे हैं। पूर्वजों की बंजर भूमि फिर से लहलहाने लगी है।
- आरके सिंह, जिला उद्यान अधिकारी