Move to Jagran APP

पहले दिन में नहीं होता था गुलदार का दहशत

जागरण संवाददाता, बागेश्वर : द्यांगण गांव में गुलदार के आतंक से बच्चे, बुजुर्ग, महिलाएं सभी दहश

By JagranEdited By: Published: Sat, 10 Nov 2018 10:47 PM (IST)Updated: Sat, 10 Nov 2018 10:47 PM (IST)
पहले दिन में नहीं होता था गुलदार का दहशत

जागरण संवाददाता, बागेश्वर : द्यांगण गांव में गुलदार के आतंक से बच्चे, बुजुर्ग, महिलाएं सभी दहशत में हैं। पहले दिन में कभी भी गुलदार नहीं देखा। खेतों में धान कटने के बाद जरूर कुछ दिन गुलदार की दहशत रहती थी और वह मवेशियों को मारता था, लेकिन अब वह आदमखोर हो गया है। गांव में लगातार एक के बाद कई घटनाएं होने के बाद ग्रामीणों के दर्द भी छलकने लगा है।

loksabha election banner

-------------

गांव में सिर्फ गरीबों के बच्चे रह गए हैं और अन्य बच्चे स्कूल पढ़ने के लिए घर से बाहर हैं। गरीब का बच्चा अच्छी शिक्षा से भी महरूम है और जंगली जानवरों से भी खतरा बढ़ गया है। आखिर गरीब गांव छोड़कर जाएं तो कहा जाएं? सरकार को गुलदारों की फौज को कम करने के लिए अभियान चलाना होगा।

-राजेंद्र ¨सह, ग्रामीण

.............

वन विभाग झाड़ियां नहीं काट रहा है। नेशनल हाइवे गरुड़-कौसानी के दोनों तरफ घास और झाड़ियां हैं जिसमें गुलदार छुप रहा है। इस बीच खेत खाली है और उसे दूर से ही शिकार नजर आ रहा है। सुबह-शाम गुलदार गांव में दिखाई देने लगा है।

-किशन ¨सह, ग्रामीण

............

मेरे उम्र 55 साल हो गई है, कभी भी इतना भयभीत नहीं हुई। घास काटने जंगल भी जाते थे, लेकिन गुलदार वहां भी नहीं दिखता था, अब तो आंगन में रोज आने लगा है। सरकार ग्रामीणों की उपेक्षा कर रही है, जंगली जानवरों के हवाले कब तक बच्चों को करेंगे। गांव में गरीब रहते हैं, जिनकी पीड़ा कोई नहीं सुन रहा है।

-आनंदी देवी, ग्रामीण

.........

गांव में दो मासूमों को गुलदार ने मार डाला है। अभी भी चार-चार गुलदार हैं, एक नर गुलदार को मारा था, अब मादा बची हुई है, वह सबसे अधिक आतंकित कर रही है। उसे मार गिराने के अलावा उनकी कोई डिमांड नहीं है। झाड़ियों का कटान भी वन विभाग को करना होगा।

-दानुली देवी, ग्रामीण

......

गेहूं की ¨सचाई के लिए रात में खेतों में पानी लगाते थे, लेकिन गुलदार का भय बना हुआ है। सुबह दस बजे तक घरों में कैद हो गए हैं।

-मोहनी देवी, ग्रामीण

...........

गांव में किसान और पशुपालक रहते हैं। हम महिलाओं का काम खेती-पाती और मवेशियों के लिए चारा आदि लाने का है। गुलदार के आतंक से जंगल भी नहीं जा पा रही हैं, और मवेशी भी गोशाले में कैद होकर रह गए हैं।

-नंदी देवी, ग्रामीण


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.