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द्यांगण में आतंक का पर्याय बना गुलदार पिजरे में कैद

जागरण संवाददाता बागेश्वर द्यांगण क्षेत्र में आतंक का पर्याय बना गुलदार आखिरकार गुरुवार को

By JagranEdited By: Published: Thu, 12 Sep 2019 04:55 PM (IST)Updated: Thu, 12 Sep 2019 04:55 PM (IST)
द्यांगण में आतंक का पर्याय बना गुलदार पिजरे में कैद
द्यांगण में आतंक का पर्याय बना गुलदार पिजरे में कैद

जागरण संवाददाता, बागेश्वर : द्यांगण क्षेत्र में आतंक का पर्याय बना गुलदार आखिरकार गुरुवार को पिजरे में कैद हो गया। वन विभाग की टीम ने उसे रेस्क्यू कर लिया है। डाक्टरों की टीम के अनुसार गुलदार स्वस्थ्य है और उसे अल्मोड़ा चिड़ियाघर में छोड़ा जा सकता है। वहीं, गांव के लोगों ने गुलदार के पकड़े जाने पर राहत की सांस ली है।

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द्यांगण गांव में एक सप्ताह पूर्व दीपा देवी पत्नी पूरन सिंह कठायत पर गुलदार ने झपटने की कोशिश की और दीपा ने खुद को ही नहीं अपने बच्चों को भी बचा लिया। वन विभाग ने ग्रामीणों की डिमांड पर वहां पिजरा लगाया और करीब एक सप्ताह की मशक्कत के बाद गुलदार को पिजरे में कैद कर लिया गया है। गुरुवार सुबह करीब चार बजे गुलदार के पिजरे में फंसते ही वह दहाड़ने लगा जिससे आसपास के लोग दहशत में आ गए। उन्होंने पिजरे को हिलता हुआ देखा और सूचना तत्काल वन विभाग को दी। वन विभाग की टीम दलबल के साथ करीब पांच बजे गांव पहुंची। करीब तीन घंटे की मशक्कत के बाद पिजरे को सड़क तक लाया गया और वहां से पिकअप में शिफ्ट कर उसे वन विभाग के अहाते में लाया गया। पशु विभाग के डाक्टरों के टीम ने उसके स्वास्थ्य की जांच की और वह स्वस्थ्य पाया गया है। पिजरे में कैद गुलदार मादा है और उसे वन विभाग चिड़ियाघर छोड़ने की बात कर रहा है। टीम में भूपाल राम, केवल पांडे, त्रिलोक पांडे, दीवान सिंह, बलवंत सिंह आदि मौजूद थे।

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ग्रामीणों का लगा तांता

गुलदार के पिजरे में फंसने की सूचना पर स्थानीय लोग वहां धमक गए और गुलदार को देखने की ललक से अन्य लोग भी भारी संख्या में द्यांगण गांव पहुंचे। जिससे गुलदार को रेस्क्यू करने में वन विभाग की टीम को भारी मशक्कत करनी पड़ी। स्थानीय निवासी दर्शन कठायत ने बताया कि मादा गुलदार लगातार गांव में बनी हुई थी और वह लोगों पर झपटने की कोशिश कर रही थी। बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं दहशत में थे।

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मादा गुलदार की उम्र करीब चार साल है उसे पिजरे में कैद कर लिया गया है। वह स्वस्थ्य है और उसे जल्द चिड़ियाघर छोड़ा जाएगा।

-मोहन सिंह नयाल, वन क्षेत्राधिकारी, बागेश्वर


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