गरुड़ के लौबांज क्षेत्र में चार और बकरियों की मौत
गरुड़ तहसील के लौबांज क्षेत्र में बकरियों के मरने का सिलसिला थम नहीं रहा है।
संवाद सूत्र, गरुड़ : तहसील के लौबांज क्षेत्र में बकरियों के मरने का सिलसिला थम नहीं रहा है। इससे पशुपालकों में आजीविका के खिलाफ जबरदस्त आक्रोश है। आक्रोशित ग्रामीणों ने आजीविका के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है। चेतावनी देते हुए कहा कि यदि उनकी मांग नहीं मानी गई तो वे एक सप्ताह बाद आमरण अनशन करने के लिए मजबूर होंगे।
श्यामा प्रसाद मुखर्जी रुर्बन मिशन योजना के तहत आजीविका परियोजना ने लौबांज न्याय पंचायत के कई गांवों में 17.40 लाख की लागत से 180 गरीब परिवारों को जौनपुर, राजस्थान से बकरियां लाकर वितरित की थी। एक महीने में ही बकरियां बीमार पड़ने लगी। कौलाग में मनोहर चिलवाल की दो तथा बद्रीनाथ में हरी राम की भी दो और बकरियों ने दम तोड़ दिया है। जौनपुर से आई बकरियों से बीमारी फैलने के कारण पशुपालकों के अन्य जानवर भी बीमार पड़ गए हैं। अब तक 74 बकरियों की क्षेत्र में मौत हो चुकी है। इससे क्षेत्र में आजीविका के खिलाफ जबरदस्त आक्रोश है। पशुपालक मुख्य पशुचिकित्साधिकारी डा. उदयशंकर के हवाले कहते हैं कि बकरियां पीपीआर रोग से ग्रसित थी। वे सवाल उठाते हैं कि यदि ऐसा है तो क्रय समिति के सदस्य गरुड़ के पशुचिकित्साधिकारी डा. पीके पाठक ने बकरियों का क्या परीक्षण किया। पशुपालकों का कहना है कि जब बकरियां पीपीआर रोग से ग्रसित थी तो उन्हें रोगग्रस्त बकरियां क्यों बांट दी गई।
पूर्व विधायक ललित फस्र्वाण, लौबांज के ग्राम प्रधान मनोहर अलमिया, कौलाग की ग्राम प्रधान कौशल्या देवी, तारा दत्त मिश्रा, चंदन सिंह, किशन सिंह, हीरा सिंह,पूरन सिंह, आनंद सिंह, पूरन राम,शशी देवी, निर्मला देवी, रेखा देवी, भगवती देवी आदि ग्रामीणों ने कहा कि एक सप्ताह का समय दिया है। दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं हुई तो आमरण अनशन करने को बाध्य होंगे।