पिडर घाटी में पांच फिट हिमपात, तीन मोटर मार्ग अवरुद्ध
अनवरत हो रही बारिश व हिमपात से जन जीवन पूरी तरह पटरी से उतर गया है।
जागरण संवाददाता, बागेश्वर : अनवरत हो रही बारिश से जन जीवन पूरी तरह पटरी से उतर गया है। पिडर घाटी में पांच फिट तक बर्फबारी हुई है और तीन मोटर मार्ग आवागमन के लिए पूरी तरह अवरुद्ध हो गए हैं। पारा गिरने से तापमान लगातार लुढ़क रहा है। हिमपात वाले गांवों में जरूरी सामान का भी टोटा पड़ गया है।
जिले में पिछले दो दिनों से बारिश रुकने का नाम नहीं ले रही है, वहीं उच्च हिमालय से सटे गांव बर्फ से लकदक हो गए हैं। जिससे वहां के बाशिदों की दुश्वारियां बढ़ गईं हैं और लोग बिजली, पानी, सड़क, संचार आदि सुविधाओं से भी महरूम हो गए हैं। मवेशियों के लिए चारे का संकट पैदा हो गया है। भेड़, बकरियां आदि बुग्यालों में फंसे हुए हैं और चरवाहों की दिक्कतें बढ़ गई हैं। गांवों में जरूरी सामान भी पिछले एक सप्ताह से नहीं पहुंच पा रहा है, जिससे वहां नमक, तेल, माचिस, चीनी, केरोसिन, रसोई गैस आदि की सप्लाई पूरी तरह ठप हो गई है। हालांकि, जिला प्रशासन ने बर्फबारी वाले गांवों में छह माह का राशन पहले ही भेजा है। इससे कुछ राहत ग्रामीणों को मिल रही है और वे ठंड से बचने के लिए अलाव आदि जला रहे हैं।
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यहां सबसे अधिक हिमपात
बादियाकोट, बाछम, तीख, खाती, सोराग, कालू, किलपारा, कुंवारी, समडर, डौला, बोरबलड़ा में करीब पांच फिट और शामा गोगिना आदि क्षेत्रों में भी बर्फबारी हो रही है।
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बर्फबारी से सड़क बाधित
रिखाड़ी-बाछम, शामा-नाकुरी, लीती-गोगिना मोटर मार्ग में भारी मात्रा में बर्फ गिरने से आवागन के लिए पूरी तरह बंद हो गए हैं।
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बिजली लाइन पर गिरा पड़े
बर्फबारी के कारण विद्युत लाइन पर बिजली का पेड़ गिर गया है। जिससे लीती, गोगिना, कीमू, रातिरकेठी, हाम्टीकापड़ी आदि गांवों की विद्युत आपूíत ठप हो गई है।
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पेयजल पाइप लाइनों का पानी जमा
उच्च हिमालय से सटे गांवों में पेयजल संकट पैदा हो गया है। अधिकतर पेयजल लाइनों में पानी बर्फ बन गया है और लोग बर्फ का पानी उबाल कर पीने के उपयोग में ला रहे हैं।
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बारिश के आंकड़े
बागेश्वर- 7.50 एमएम
गरुड़- 7.50 एमएम
कपकोट- 5.00 एमएम
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जिला मुख्यालय का पारा
अधिकतम-5 डिग्री सेल्सियस
न्यूतम- -2 डिग्री सेल्सिस
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बिजली, पानी, संचार और सड़कों को सुचारु करने की कोशिश संबंधित विभाग कर रहे हैं। बारिश और बर्फबारी लगातार हो रही है। तहसीलों से किसी भी प्रकार के नुकसान की पुष्टि नहीं है।
-शिखा सुयाल, आपदा प्रबंधन अधिकारी