किसानों ने सीखे मसाला उत्पादन के गुर
जागरण संवाददाता, बागेश्वर : एकीकृत आजीविका सहयोग परियोजना के तहत गरुड़ के बीस किसानों क
जागरण संवाददाता, बागेश्वर : एकीकृत आजीविका सहयोग परियोजना के तहत गरुड़ के बीस किसानों को कृषि विज्ञान केंद्र काफलीगैर का भ्रमण कराया गया। किसानों को यहां दो दिनों का प्रशिक्षण भी दिया गया और दूध उत्पादन बढ़ाने और मसाला उद्योग आदि के गुर सीखाए गए।
प्रभारी अधिकारी एनके ¨सह ने प्रशिक्षण शिविर का शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में कृषि के साथ-साथ पशुपालन का कार्य भी किया जाता है। पर्वतीय क्षेत्रों में दुग्ध उत्पादन की अपार संभावनाएं हैं। डेयरी व्यवसाय हेतु उन्नत नस्ल, आवास, पोषण एवं रोग नियंत्रण पर विषेश ध्यान देने की आवश्यकता है। चर्चा के दौरान उन्होंने पशुओं के प्रमुख रोग उनसे बचाव के तरीके और पशु पोषण के महत्व एवं बनाने विधियों के विषय में विस्तार से जानकारी दी। दुग्ध उत्पादन तकनीक तथा पशुधन प्रबंधन पर प्रजेंटेशन तथा चलचित्र के माध्यम से किसानों को जानकारी दी। डॉ. कमल कुमार पांडे ने पर्वतीय क्षेत्रों में मसाला वर्गीय फसलों की उन्नत खेती पर चर्चा की। विषय विशेषज्ञ हरीष चंद्र जोशी ने पशुओं के गोबर से बनने वाले वर्मी कंपोस्ट बनाने की वैज्ञानिक विधियों को बताया। वैज्ञानिक एमपी ¨सह ने चारा उत्पादन की उन्नत तकनीकों के विषय में जानकारी दी। निधि ¨सह ने डेयरी के विभिन्न उत्पादों तथा कृषिगत वैकल्पिक उत्पादों के बारे में जानकारी दी। कार्यक्रम के अंत में प्रतिभागी किसानों को अध्ययन सामग्री व प्रशिक्षण प्रमाण पत्र दिए गए। प्रशिक्षण में वीरेंद्र ¨सह, जानकी मेहता, बहादुर ¨सह, राजेंद्र ¨सह आदि मौजूद थे।