नकदी खेती से उगा रहे खुशहाली की फसल
पहाड़ की पारंपरिक खेती छोड़कर नौकरी की तलाश में शहरों की खाक छानने वालों की इस सोच को आइना दिखाया है कपकोट ब्लाक के 400 किसानों ने। इन्होंने पारंपरिक खेती में तकनीक का प्रयोग किया।
घनश्याम जोशी, बागेश्वर
खेती घाटे का सौदा है! इसमें रखा क्या है? पहाड़ की पारंपरिक खेती छोड़कर नौकरी की तलाश में शहरों की खाक छानने वालों की इस सोच को आइना दिखाया है कपकोट ब्लाक के 400 किसानों ने। इन्होंने पारंपरिक खेती में तकनीक का प्रयोग किया। नकदी फसल उगाई और फिर देखते ही देखते दो सालों में इनके घरों में खुशहाली लौट आई। आज ये किसान संपन्न हैं। सभी संसाधनों से परिपूर्ण हैं। इनके बच्चे अच्छी शिक्षा अर्जित कर रहे हैं। इसमें मदद की विकेंद्रीकृत जलागम ने।
कपकोट विकास खंड में उत्तराखंड विकेंद्रीयकृत जलागम विकास परियोजना का संचालन किया जा रहा है। जिसमें 44 ग्राम पंचायतों के किसानों को पारंपरिक खेती से इतर सब्जी के उत्पादन की वैज्ञानिक तकनीक सीख रहे हैं। आज यहां 361 पालीहाउस में सब्जियों का उत्पादन हो रहा है। बेमौसमी सब्जियों में टमाटर, शिमला मिर्च, खीरा, पत्ता गोभी, ब्रोकली, मटर भी किसानों की आमदनी बढ़ा रहे हैं।
पोथिग गांव के प्रगतिशील किसान दीपक गढि़या ने बताया कि ग्रामीणों का मुख्य व्यवसाय खेती और पशुपालन है। तकनीकी जानकारियों के अभाव में किसान गेहूं, धान, मडुवा आदि का उत्पादन कर रहे थे। जिससे किसानों को उचित लाभ नहीं मिल पा रहा था। साथ ही जंगली जानवर पारंपरिक खेती को नुकसान पहुंचा रहे थे। कुछ फसलें बीमारी से कम होती थी। किसानों की वर्षभर की आय
सब्जी हेक्टेयर क्विटल रुपये
टमाटर 0.7 350 700000
शिमलामिर्च 0.5 100 200000
खीरा 0.42 168 252000
मटर 0.7 80 320000
गोभी 0.5 300 600000
ब्रोकली 0.42 64 192000 किसानों ने 361 पालीहाउस लगाए हैं। जिसमें बेमौसमी टमाटर, शिमलामिर्च, खीरा, पत्तागोभी, ब्रोकली एवं मटर आदि का उत्पादन हो रहा है। उन्नत किस्म का बीज और खाद भी उन्हें प्रदान किया जा रहा है। वर्षभर में किसान संयुक्त रूप से लगभग 22.64 लाख रुपये कमा रहे हैं।
- ललित रावत, परियोजना परियोजना निदेशक, ग्राम्या