कांग्रेसियों की बगावत व कुशल रणनीति से नैया हुई पार
चंद्रशेखर द्विवेदी, बागेश्वर: कांग्रेस की बगावत व दलित वोटों के सहारे निर्दलीय प्रत्याशी सुरेश ख
चंद्रशेखर द्विवेदी, बागेश्वर: कांग्रेस की बगावत व दलित वोटों के सहारे निर्दलीय प्रत्याशी सुरेश खेतवाल जीतने में सफल हो पाए। उनके चुनाव के दौरान कुशल रणनीति से अपने गढ़ में ही कांग्रेस चौथे नंबर पर रही। बागेश्वर नगरपालिका को कांग्रेस का गढ़ कहा जाता हैं। यहां से कांग्रेस के किसी प्रत्याशी को भी टिकट मिलता उसका जीतना निश्चित था। लेकिन टिकट बंटवारे के साथ ही कांग्रेस कार्यकर्ताओं में गुटबाजी शुरु हो गई। कांग्रेस के दिग्गज कार्यकर्ताओं ने पार्टी से किनारा कर लिया। उन्होंने कांग्रेस के बागी सुरेश खेतवाल को अपना निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में खड़ा कर दिया। सुरेश खेतवाल भी पार्टी का टिकट नही मिलने से निराश थे। इसके बाद उन्होंने कांग्रेस के वोटों को अपने पक्ष में करना शुरु किया। वह सफल भी हो गए। लेकिन अभी भी कुछ कमी थी। अब उनकी नजर अनुसूचित जाति की वोटों पर थी। जिसका बसपा ध्रुवीकरण करने में लगी हुई थी। एक समय ऐसा लग रहा था कि इन वोटों के कारण बसपा भी इस सीट को जीत सकती हैं। लेकिन मतदान से एक दिन पहले निर्दलीय प्रत्याशी सुरेश खेतवाल की कुशल रणनीति व प्रबंधन से वह इन दलित मतदाताओं को अपने पक्ष में करने में सफल रहे। कांग्रेस के परंपरागत वोटों के बंटने व दलित वोटों के निर्दलीय प्रत्याशी पर भरोसा ही उनकी जीत का कारण बनी। चुनाव के दौरान कांग्रेस का संगठन भी असमंजस की स्थिति में था। बागी के चुनाव लड़ने और दिग्गज कार्यकर्ताओं के पार्टी छोड़ने से वह संगठन भी बिखर गया था। किसी को समझ ही नही आ रहा था कि क्या करें। कुछ हद तक कांग्रेस मतदान के दिन अपने को जरुर संगठित करने में सफल रही लेकिन सीट नही जीत पाई।
दूसरी ओर भाजपा के बागी प्रमोद मेहता ने भी अच्छा प्रदर्शन किया। उन्हें भी काफी अच्छे मत पड़े। उन्होंने भाजपा के परंपरागत वोटों पर भी सेंध लगाई। जिसने निर्दलीय कुंदन की राह आसान कर दी। कांग्रेस की इस स्थिति के बाद फिर संगठन को सोचने पर मजबूर होना पड़ गया हैं। सुरेश को 2754 मत मिले जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंदी भाजपा प्रत्याशी को 2387 मत मिले। निर्दलीय 367 मतों से विजयी रहे।