समस्याओं को जीत कमा रहे मुनाफे के फल
तरक्की की राह में पहाड़ की विकट समस्याओं से परेशान लोगों को रिटायर्ड शिक्षक नई राह दिखा रहे हैं।
जागरण संवाददाता, बागेश्वर : तरक्की की राह में पहाड़ की विकट समस्याओं से परेशान लोगों का यहां से पलायन जारी है, लेकिन इसे चुनौती के रूप में लेने वालों की भी यहां कमी नहीं है। 68 वर्षीय भवान सिंह कोरंगा भी उनमें से एक हैं। पांच साल की उनकी कड़ी मेहनत अब एक हेक्टेयर कृषि भूमि से उन्हें मुनाफे के फल दे रही है। कपकोट ब्लॉक के सामा क्षेत्र में उन्होंने रिकार्ड 70 क्िवटल कीवी उत्पादन कर मिसाल कायम की है। उनका उत्पादन ग्राम्याश्री के नाम से बाजार में बिक रहा है।
कपकोट के शामा निवासी भवान सिंह कोरंगा ने शिक्षक पद से सेवानिवृत्त होने के बाद 2008 में अपने गांव में ही बसकर खेतों को आबाद करने का निर्णय लिया। कृषि विशेषज्ञों, वैज्ञानिकों आदि से परामर्श के बाद उन्होंने कीवी उत्पादन करने का मन बनाया। यहां की जलवायु भी इसके लिए काफी उपयुक्त है। इसके लिए उन्होंने अपनी 50 नाली जमीन में कीवी के पौधे रोपे, जो उन्हें उद्यान विभाग व अन्य नर्सरियों से प्राप्त हुए। इसके बाद जी-जान से जुटकर किसानी की। अब लगभग 700 किलो कीवी उत्पादन के रूप में उनकी मेहनत सामने आई है।
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ग्राम्या ने दिलाया बाजार
प्रगतिशील काश्तकार भवान सिंह कोरंगा के उत्पाद की पैकेटिंग ग्राम्याश्री से इसकी पैकेटिग की गई है। अब उनका उत्पाद शामा से उत्तरप्रदेश व उत्तराखंड की मंडियों तक पहुंचने लगा है। बंदरों से नही है खतरा पहाड़ में बंदरों के आतंक से सभी परेशान हैं। लोगों ने खेती-बाड़ी तक छोड़ दी है, लेकिन कीवी को बंदर नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। विशेषज्ञ भी इसकी खेती, बागवानी को बढ़ावा देने पर जोर दे रहे हैं।
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डेंगू जैसी बीमारी में फायदेमंद कीवी में भरपूर मात्रा में बिटामिन सी, के, ई होता है। प्रचुर मात्रा में एंटी ऑक्सीडेंट और फाइबर भी पाए जाते है। यह अस्थमा, पाचन ठीक रखने, रक्तचाप, आंखों से संबंधित डेंगू आदि रोगों के लिए फायदेमंद है।
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वर्जन
लगातार प्रगतिशील काश्तकारों को आगे बढ़ाया जा रहा है। उन्हें हर संभव मदद दी जा रही है। सरकार का लक्ष्य पलायन रोक काश्तकारों की आय को दोगुना करना है।
-नरेश तिवारी, प्रभारी सीडीओ, बागेश्वर