मेले में दिखा आचार संहिता का असर
अशोक लोहुमी, बागेश्वर : इस बार के उत्तरायणी मेले में आचार संहिता का असर रहा। इस कारण प्रदर्शनी स्टाल
अशोक लोहुमी, बागेश्वर : इस बार के उत्तरायणी मेले में आचार संहिता का असर रहा। इस कारण प्रदर्शनी स्टाल से सरकारी विभाग नदारद रहे। वहीं मेले के शुभारंभ व समापन के अवसर पर अधिक औपचारिकताएं नहीं हुई तथा जनता को भी अनावश्यक औपचारिकताओं का सामना न करना पड़ा। मेला जिलाधिकारी व पालिका के प्रयासों से नए आयाम छूता दिखा।
13 जनवरी को मेले का आगाज आकर्षक झांकी के साथ हुआ। जिसमें स्कूली बच्चों की प्रतिभा को हर किसी ने देखा व हीं सेना के बैंड ने मेलार्थियों के मन में देश भक्ति जगाई। मेले के औपचारिक शुभारंभ कार्यक्रम भी आचार संहिता के चलते संक्षिप्त व सटीक रूप से हुए। जिससे मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आनंद लेने आए मेलार्थियों को नेताओं के भाषण से दो चार नहीं होना पड़ा और नेताओं के मुख्य मंच में आते वक्त होने वाली नो इंट्री, वन वे की समस्या से ही दो चार होना पड़ा। आचार संहिता का सर्वाधिक असर नुमाइश में लगे स्टालों में दिखा। मेले में शराब पीकर उत्पात व छेड़छाड़ के अलावा अन्य बड़ी घटनाएं नहीं हुई। जो कि सकून वाली बात रही। मेले में इस बार सरयू बगड़ में दुकान न लगाने से पालिका की आय में इसका असर तो पड़ा परंतु मेलार्थियों को खुली जगह मिली। पालिका द्वारा अतिरिक्त पर्यावरण मित्र तैनाती के चलते मेला क्षेत्र में सफाई व्यवस्था चाक चौबंद रही। जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल के प्रयास से बायो शौचालय की व्यवस्था ने मेला क्षेत्र में गंदगी होने की समस्या नहीं रही। जो कि उत्तरायणी मेले का पहला प्रयोग था। मेले में मौसम के साथ देने व अच्छी खासी भीड़ होने के कारण व्यापारी भी खुश दिखे तथा उन्होंने जिला प्रशासन व पालिका के प्रयासों की सराहना की। हालांकि प्रशासनिक तौर पर मेले का समापन हो चुका है परंतु अभी व्यापारी व मेलार्थियों की चहल पहल मेला क्षेत्र में 21 जनवरी तक रहने की संभावना है। इन दिनों में भी कानून व प्रशासनिक व्यवस्था बनाना प्रशासन व पुलिस के लिए चुनौती रहेगी।
-----------
वापस लौटते वक्त कीमतों में आई कमी
बाहर से आए व्यवसायियों के वापस लौटने का समय आया तो उनके द्वारा कीमतों में कमी कर दी है। गोमती बगड़ व भोटिया मार्केट में लगी दुकानों में व्यवसायियों ने कीमतों में काफी कमी कर दी है। अन्य वर्षो की तरह कीमत कम होने पर दूर दराज की महिलाओं द्वारा मेला क्षेत्र से वर्ष भर की दैनिक उपयोग की सामग्री समेत गर्म कपड़े, कंबल, रजाई आदि की खरीदारी की जा रही है।