Move to Jagran APP

नवजात को क्यों छोड़ा सड़क पर, बैठाई जांच

दुनिया में आने के एक दिन बाद ही नवजात कन्या को सड़क किनारे छोड़ने के माममले में पुलिस जांच शुरू हो गई है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 22 Nov 2019 11:08 PM (IST)Updated: Sat, 23 Nov 2019 06:12 AM (IST)
नवजात को क्यों छोड़ा सड़क पर, बैठाई जांच

संवाद सहयोगी, अल्मोड़ा : दुनिया में आने के एक दिन बाद ही नवजात कन्या को सड़क किनारे छोड़ने की अमानवीय घटना से पूरा शहर स्तब्ध है। नवजात के स्वस्थ होने की दुआओं के बीच पुलिस ने पूरे घटनाक्रम की जांच बैठा दी है। गोपनीय तहकीकात की जा रही है कि लोकलाज की डर से अनब्याही मां ने उसे खुले आसमान के नीचे ठंड में अकड़ जाने को छोड़ा अथवा बेटी होने के कारण परिजनों के तानों से तंग आकर यह अमानवीय कदम उठाया गया। बहरहाल, मौत को मात देकर हल्द्वानी में जिंदगी के लिए जंग लड़ रही नन्हीं कली को स्वस्थ होने पर यहां शिशु सदन में रखने की तैयारी भी कर ली गई है।

loksabha election banner

बताते चलें कि बुधवार रात राजपुर वार्ड में ओड़खोला व भ्यारखोला के बीच सड़क किनारे कोई निर्मोही मां अपनी नवजात बच्ची को ममता की छांव से दूर छोड़ गई। इसी दौरान आवारा कुत्तों का झुंड उसे नोंचने की कोशिश करने लगा। वहां से गुजर रहे बाइक सवार युवकों की नजर पड़ी तो उन्होंने नन्हीं कली की सुरक्षा को शोर मचाया। आसपास के लोगों को बुला आक्रामक कुत्तों के जबड़े से बच्ची को बचा लिया। धारानौला चौकी पुलिस की मदद से तत्काल बेस चिकित्सालय पहुंचाया गया, जहां प्राथमिक उपचार के बाद नवजात को एसटीएच हल्द्वानी रेफर कर दिया गया। वहां नन्हीं कली जिंदगी की जंग लड़ रही है।

इधर 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' मुहिम व कन्या भू्रण हत्या पर बने कानून के मद्देनजर पुलिस हरकत में आ गई है। सीओ वीर सिंह ने कोतवाल को मामले की जांच के निर्देश दे दिए हैं।

=======================

एक मां ममता का गला कैसे घोंट सकती है

= जांच व कार्रवाई की पुरजोर वकालत

अल्मोड़ा : राजपुर वार्ड का हरेक व्यक्ति खासतौर पर महिलाएं घटनाक्रम से हतप्रभ हैं। उन्हें यकीन नहीं हो रहा कि एक मां ही ममता का गला घोंटने पर आमादा हो गई। उन्होंने इसे अमानवीय कृत्य करार दे कहा कि कोई भी मां ऐसा नहीं कर सकती। साथ ही उन्होंने मामले की जांच व दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की पुरजोर वकालत भी की।

=====परिचर्चा ===========

बोलीं महिलाएं

फोटो : 22 एएलएम पी 3 'अमानवीय कृत्य किसने किया, इसका पता लगा दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। नवजात को ऐसे सड़क किनारे फैंकने के बजाय बेहतर था शिशु सदन में दे आते। कोई और तो पालता। क्षेत्र में सीसीटीवी कैमरे लगाने की मांग रखेंगे।

- सचिन आर्या, सभासद राजपुर'

================

फोटो : 22 एएलएम पी 4

'मोहल्ले में जब सुना तो पैरों तले जमीन खिसक गई। बेटी बचाने की बात हो रही है। लेकिन एक मां ऐसा कैसे कर सकती है, यकीन नहीं हो रहा। जिसने भी किया, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

- शकुंतला देवी, ओढ़खोला'

================

फोटो : 22 एएलएम पी 5

'अमानवीय व घृणित कदम है। एक मां ही जब नवजात बेटी को मरने के लिए छोड़ दे तो क्या हो सकता है। कन्या भू्रण हत्या पर कानून बन चुका। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान चलाए जा रहे। और यहां यह सब देख हम तो सिहर उठे हैं। जांच व कार्रवाई होनी चाहिए।

- संगीता आर्या, राजपुर'

================

फोटो : 22 एएलएम पी 6

'ऐसा तो जानवर भी नहीं करते। आखिर मां के सामने ऐसी क्या मजबूरी थी कि उसने अमानवीयता की हद पार कर डाली। एक मां के लिए गर्भधारण सुखद अनुभूति कराता है लेकिन ऐसी अमानवीयता कभी नहीं देखी। जांच तो होनी ही चाहिए।

- पुष्पा वर्मा, भ्यारखोला'

============ कैसे ले सकते हैं शिशु को गोद

= केंद्रीय संस्था सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स ऑथोरिटी (कारा) में पंजीकरण कराना जरूरी।

= फिर प्रक्त्रिया पूरी करने को जरूरी दस्तावेज अपलोड करने होंगे।

= पंजीकरण व जरूरी दस्तावेज अपलोड करने के बाद विशेष एडॉप्शन एजेंसी आपके घर का गहन अध्ययन कर केयरिंग रजिस्ट्रेशन पोर्टल में रिपोर्ट देगी।

= बच्ची गोद लेने के लिए कानूनी रूप से मुक्त बच्चे का प्रोफाइल दिखाया जाएगा। 48 घटे के भीतर आपको अपनाना होगा।

= भावी दत्तक माता पिता जब बच्चे का चुनाव कर लेते हैं तो एडॉप्शन कमेटी अमुक बच्चे का फोटो से मिलान करती है। गोद लेने वालों की सहमति पर विशेषज्ञ एडॉप्शन एजेंसी कोर्ट में बच्चा गोद लेने संबंधी याचिका पेश करती है। बच्चे को गोद लेने वाले सह याचिकाकर्ता बनेंगे।

= बच्चा गोद लेने वाले मानसिक, शारीरिक व भावनात्मक व आर्थिक रूप से मजबूत होना जरूरी।

= गोद लेने वाले दत्तक माता पिता को किसी तरह का गंभीर रोग या मौत का खतरा न हो।

= दत्तक व बच्चे के बीच उम्र का अंतर 25 वर्ष से कम न हो।

= अविवाहित या अकेले अभिभावक की आयु 55 वर्ष से ज्यादा न हो।

= दो या दो से कम बच्चे हैं तो एक और बच्चा गोद ले सकते हैं।

= अकेली महिला बेटा या बेटी किसी को भी गोद ले सकती है।

= अविवाहित, अकेला व तलाकशुदा पुरुष कन्या को गोद नहीं ले सकता।

= कोई विशेषीकृत दत्तक ग्रहण एजेंसी,

बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी), जिला बाल संरक्षण इकाई (डीसीपीयू)

व चाइल्ड वेल्फेयर सोसाइटी सामाजिक जाच करेगी। इसमें खरे उतरने पर ही आप बच्चा गोद ले सकते हैं।

=================

'कारा के तहत ऑन लाइन पंजीकरण, गोद लेने के लिए जिसका नंबर आए जाए, उसे ही बुलाया जा सकता है। गोद लेने से पूर्व कुछ प्रक्रियाओं व पात्रता जांच के दौर से गुजरना होता है। अल्मोड़ा में 1980 में स्थापित शिशु सदन से अब तक 400 से अधिक बच्चे गोद दिए जा चुके है। राज्य गठन से अब तक आंकड़ा 50 के आसपास है।

-प्रशांत जोशी, अध्यक्ष शिशु सदन केंद्र'

================

'बच्ची जब स्वस्थ होकर लौटेगी तो उसे शिशु सदन में रखा जाएगा। वहां पर लालन पालन की सभी सुविधाएं हैं। जहां तक कन्या को गोद लेने का सवाल है, इसकी लंबी प्रक्रिया है और नियम शर्तो को भी पूरा करना होता है।

- नितिन सिंह भदौरिया, डीएम'।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.