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वाहिनी अपने शमशेर के सिद्धांतों के साथ आगे बढ़ेगी

जागरण संवाददाता, अल्मोड़ा: उत्तराखंड लोकवाहिनी के अध्यक्ष रहे वरिष्ठ पत्रकार व आंदोलनकार

By JagranEdited By: Published: Wed, 26 Sep 2018 11:00 PM (IST)Updated: Wed, 26 Sep 2018 11:00 PM (IST)
वाहिनी अपने शमशेर के सिद्धांतों के साथ आगे बढ़ेगी
वाहिनी अपने शमशेर के सिद्धांतों के साथ आगे बढ़ेगी

जागरण संवाददाता, अल्मोड़ा: उत्तराखंड लोकवाहिनी के अध्यक्ष रहे वरिष्ठ पत्रकार व आंदोलनकारी डा.शमशेर ¨सह बिष्ट के निधन पर रैम्जे इंटर कालेज सभागार में एक बैठक कर श्रद्धांजलि अíपत की गई। जिसमें वाहिनी के पदाधिकारियों ने कहा कि उनके बताए गए सिद्धांतों व आदर्शों को आगे बढ़ाने का काम किया जाएगा। ताकि वाहिनी को और मजबूती दी जा सके।

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कार्यक्रम में वरिष्ठ नेता राजीव लोचन साह ने कहा कि पहाड़ के मुद्दे आगे भी उठाए जाते रहेंगे। लेकिन डा. शमशेर ¨सह बिष्ट की तरह जनसरोकार से जुड़े नेता की कमी हमेशा खलेगी। राज्य संयोजिका कमला पंत ने कहा कि महिला मंच के साथ वाहिनी का अटूट रिश्ता रहा है। उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष पीसी तिवारी ने कहा कि शमशेर ¨सह बिष्ट के नेतृत्व में उन्होंने राज्य के लिए बहुत संघर्ष किया। इसमें डा. बिष्ट की विचाराधारा ने पहाड़ में जल, जंगल व जमीन के मुद्दे आगे लाने का काम किया। उनकी यह कमी हम सभी को सालों साल खलेगी। प्रकाश फुलेरिया ने कहा कि डा. बिष्ट वन आंदोलन करने के दौरान पहली बार गिरफ्तार किए गए थे। पूर्व शिक्षा निदेशक एमएनपी पांडेय ने कहा कि बिष्ट के साथ उनका घनिष्ट संबंध रहा है। उत्तराखंड लोकवाहिनी के पूरनचंद्र तिवारी, जंगबहादुर थापा, दयाकृष्ण काण्डपाल ने डा. शमशेर ¨सह बिष्ट के बताए गए रास्ते पर चलने का संकल्प लिया। सभा को हेमलता तिवारी, दयाशंकर टम्टा, महेश परिहार, चंद्रशेखर भट्ट, डीके जोशी, रोहित जोशी, जीवन ¨सह मेहता आदि मौजूद रहे।

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गोर्खा समाज ने भी शोकप्रकट किया

डा. शमशेर ¨सह बिष्ट के निधन पर गोर्खा समाज सुधार समिति की तरफ से भी श्रद्धांजलि अíपत की गई। सचिव शमशेर जंग गुरुंग ने कहा कि उनके निधन से पहाड़ की समस्याओं को प्रमुखता से उठाने वाला संरक्षक हमने खो दिया। उन्होंने हमेशा ही समाज के लोगों को अपना स्नेह प्रदान किया। सभी ने उनकी आत्मा की शांति के लिए दो मिनट का मौन रखकर प्रार्थना की। जिसमें कहा गया कि ईश्वर दुख की इस घड़ी में परिजनों को शक्ति प्रदान करें कि वह इस दुख को सह सकें।


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