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दिलों को जोड़ती दो जिलों की ये सूअररोधी दीवार

प्रताप सिंह नेगी ताड़ीखेत (रानीखेत) अमूमन दीवारें सरहदी बंटवारे को बनाई जाती हैं। मगर विष

By JagranEdited By: Published: Mon, 25 Mar 2019 07:15 AM (IST)Updated: Mon, 25 Mar 2019 07:15 AM (IST)
दिलों को जोड़ती दो जिलों की ये सूअररोधी दीवार
दिलों को जोड़ती दो जिलों की ये सूअररोधी दीवार

प्रताप सिंह नेगी, ताड़ीखेत (रानीखेत)

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अमूमन दीवारें सरहदी बंटवारे को बनाई जाती हैं। मगर विषम भौगोलिक हालात व चौतरफा चुनौतियों से घिरी पर्वतीय खेती को जंगली जानवरों से बचाने के लिए नैनीताल व अल्मोड़ा जनपद की सीमा पर ग्रामीणों के श्रमदान से बनी सूअररोधी दीवार किसी मिसाल से कम नहीं है। यह दीवार दोनों जनपदों के किसानों को जोड़ ही नहीं रही। बल्कि उनके खेतों में जंगलीसूअरों के झुंड को उतरने चढ़ने से रोक भी रही है। मनरेगा से बन रही इस दीवार को मटेला मनिहार के ग्रामीण जिस मेहनत से तैयार कर रहे हैं, वह पहाड़ के अन्य गावों के लिए भी प्रेरणा बन रही है। वजह पर्वतीय जिलों में कभी सूखा, ओला तो अतिवृष्टि की मार से बेजार किसानों की मेहनत पर बंदर लंगूर व जंगली सूअर पानी फेर रहे। इससे हताश कई काश्तकार खेती से तौबा कर बैठे हैं। ऐसे में मटेला मनिहार के प्रगतिशील किसान विपिन जोशी की अगुवाई में बनाई जा रही यह दीवार मायूस किसानों को प्रेरित भी कर रही। पहले चरण में 250 मीटर लंबी व डेढ़ मीटर ऊंची सूअररोधी दीवार तैयार कर ली गई है। इसे और विस्तार दिया जा रहा है। दीवार के ऊपर एंगल लगा तारबाड़ की जाएगी।

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हरीश रावत ने की थी पहल

वर्ष 2016 की कैबिनेट में तत्कालीन सीएम हरीश रावत ने पहाड़ में गांवों का कलस्टर तैयार कर सूअररोधी दीवार, बंदर बाड़े व जल संरक्षण को कृत्रिम तालाब के निर्माण के निर्देश दिए थे। चिड़ियापुर, अल्मोड़ा व पौड़ी जनपद में इसकी शुरुआत भी की गई। इधर जनपद में ताड़ीखेत ब्लॉक के मटेला मनिहार गांव के किसानों ने मनरेगा से अंतरजनपदीय सीमा पर सूअररोधी दीवार तैयार कर जंगली जानवरों से खेती बचाने की राह दिखाई है।

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400 नाली कृषि भूमि सुरक्षित

सूअररोधी दीवार के ऊपरी भूभाग में कालाखेत (नैनीताल) तो निचले इलाके में मटिला मनिहार (अल्मोड़ा) के किसान बड़ी राहत महसूस कर रहे। मटेला मनिहार में पॉलीहाउस के साथ 400 नाली खुली उपजाऊ खेती अब सुरक्षित रहने लगी है।

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स्याहीदेवी गांव की दीवार है मॉडल

अल्मोड़ा जनपद में ही स्याहीदेवी गाव (हवालबाग) की सूअररोधी दीवार किसी मॉडल से कम नहीं। इसे बगैर सरकारी मदद के ग्रामीण इंजीनियरों ने खास तकनीक से तैयार किया है कि जंगली सूअर तो दूर इस पर बंदर लंगूर भी चढ़ने से कतराते हैं।

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'सूअररोधी दीवार अभी 250 मीटर लंबी ही बनी है। सब्जी उत्पादक इस गांव में सूअरों की घुसपैठ इतने भर से ही काफी कम हो चुकी है। दीवार और लंबी बनाई जानी है। इससे नैनीताल के कालाखेत गांव को भी लाभ मिल रहा।

-विपिन जोशी, प्रगतिशील किसान'


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