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अल्मोड़ा में आजादी के बाद दूसरी दफा चली थी गोलियां

संवाद सहयोगी, अल्मोड़ा : राम जन्मभूमि मंदिर आंदोलन में सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा का बड़ा योगदान रहा थ

By JagranEdited By: Published: Sun, 10 Nov 2019 06:57 PM (IST)Updated: Sun, 10 Nov 2019 06:57 PM (IST)
अल्मोड़ा में आजादी के बाद दूसरी दफा चली थी गोलियां
अल्मोड़ा में आजादी के बाद दूसरी दफा चली थी गोलियां

संवाद सहयोगी, अल्मोड़ा : राम जन्मभूमि मंदिर आंदोलन में सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा का बड़ा योगदान रहा था। अयोध्या मामले में उच्चतम न्यायालय का ऐतिहासिक फैसला आने से करीब 29 वर्ष पूर्व लाल कृष्ण आडवाणी की रथयात्रा को रोक बिहार में गिरफ्तारी। फिर अयोध्या से शुरू विहिप की रामज्योति यात्रा को तत्कालीन सीएम मुलायम सिंह के निर्देश पर प्रतिबंध तथा लाठीचार्ज के जख्मों पर अब मरहम लगा है। तब आजादी के बाद दूसरा मौका था जब अल्मोड़ा नगरी में कारसेवकों पर लाठीचार्ज व गोलियां चलाई गई।

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तब राजधनी लखनऊ तक पहुंची थी गूंज

दरअसल, धर्म संसद के निर्णय पर 25 सितंबर 1990 को लालकृष्ण आडवाणी की सोमनाथ से अयोध्या तक रथ यात्रा शुरू। 23 अक्टूबर को आडवाणी समस्तीपुर (बिहार) में गिरफ्तार। विहिप नेता अयोध्या से रामज्योति यात्रा लेकर निकले। तत्कालीन सीएम मुलायम सिंह ने प्रतिबंध लगाया। पर यात्रा 12 अक्टूबर को अल्मोड़ा पहुंची। धारा-144 लागू। पुलिस प्रशासन का कड़ा पहरा। निषेधाज्ञा के बीच 13 अक्टूबर को विहिप नगर अध्यक्ष कैप्टन जगदीश सनवाल की अगुवाई में रामज्योति यात्रा अल्मोड़ा मुख्य बाजार से शुरू। थाना गेट के पास पुलिस ने यात्रा रोकी। 'रामलला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे..' नारे के बीच लाठीचार्ज। युवा कारसेवकों में शामिल राजीव गुरुरानी आदि कार्यकर्ताओं ने पुलिस पर पथराव किया। कफर््यू लगा। पुलिस व कारसेवकों में भीषण टकराव। लोग घरों से निकल आए। कई वाहन फूंके गए।

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आंसू गैस के गोले नाकाम तो फायरिंग

लाठीचार्ज में पूर्व विधायक अधिवक्ता गोविंद सिंह बिष्ट, पूर्व पर्वतीय विकास मंत्री पूरन शर्मा, तत्कालीन पालिकाध्यक्ष रवींद्र पंत, आरएसएस के वरिष्ठ नेता शिव सिंह राणा, मेघश्याम सिंह बौरा, सुभाष मल्होत्रा, आनंद मेहता आदि कई खून से लथपथ हो गए। गुस्सा और तेज। आंसू गैस से भी प्रदर्शनकारियों पर काबू न पाया जा सका तो पुलिस ने भरी बाजार गोली चलाई। आजादी के बाद यह दूसरा मौका था जब शिक्षा व संस्कृति के शहर में गोलीकांड हुआ। गोली लगने से घायल कारसेवक जीवन सिंह को अस्पताल ले जाया गया।

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अस्थायी जेल में भरे गए कारसेवक

इधर तत्कालीन भाजपा जिलाध्यक्ष गोव‌र्द्धन उप्रेती, हेम साह, जवाहर लाल साह, पूरन बिष्ट, मनोज वर्मा, शंकर देवड़ी, पूरन सिंह रौतेला आदि को गिरफ्तार कर हवालबाग ब्लॉक मुख्यालय से लगे इंटर कॉलेज में बनी अस्थायी जेल में डाला गया।

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पुलिस लाइन में दी यातनाएं

अगले दिन युवा कारसेवक राजीव गुरुरानी, रमेश जोशी, बंटी बिष्ट, विजय तिवारी, भुवन पांडे आदि को गिरफ्तार कर तीन दिन तक पुलिस लाइन में यातनाएं दी गई। रमेश जोशी पुलिस की लाठियों से दिव्यांग हो गए। सभी पर संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज कर तीन दिन बाद कोर्ट में पेश कर जेल भेजा गया।

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तराई वाले अल्मोड़ा जेल में

अल्मोड़ा जेल में बंद पूर्व मंत्री बंशीधर भगत, पूर्व सांसद बलराज पासी के पिता योगराज पासी, पूर्व मंत्री तिलक राज बेहड़ आदि के साथ राजीव गुरुरानी आदि को भी दो माह तक कैद रखा गया। 31 अक्टूबर 1990 को अयोध्या में पहली कारसेवा हुई जिसमें तत्कालीन सीएम मुलायम सिंह यादव के निर्देश पर हुए गोलीकांड में कई कारसेवक मारे गए।

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हाजी नूर बोले- फैसला देशहित में

अल्मोड़ा : अंजुमन सेवा समिति के पूर्व सचिव हाजी नूर खान ने उच्चतम न्यायालय के फैसले को देशहित में बताया। कहा कि हम इस निर्णय का स्वागत करते हैं। रजा अली अंसारी, अकबर खान, अनीस अंसारी, अख्तर हुसैन, फाकिर खान, यासर खान आदि ने भी फैसले को देशहित में बताया।


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