तारा मंडल के दीदार को बच्चों में दिखा उत्साह
संवाद सूत्र ताड़ीखेत (रानीखेत) दूर आकाश में नजर आने वाले तारों के विशेष समूह को खगोल
संवाद सूत्र, ताड़ीखेत (रानीखेत) : दूर आकाश में नजर आने वाले तारों के विशेष समूह को खगोलशास्त्र में तारामंडल कहते हैं। इन्हीं तारामंडलों को प्राचीन भारत में नक्षत्र कहा गया। अंतरिक्ष कितना विशाल है, इसके लिए पहले उत्पत्ति का अध्ययन बेहद जरूरी है। अंतरिक्ष के अध्ययन, तारों की संरचना, जन्म, फिर उनका बड़ा होना और आखिर में टूट जाना मानवीय जीवन चक्र से मिलती जुलती प्रक्रिया है।
यह बात ऐरीज (नैनीताल) के वैज्ञानिक प्रो. संतोष जोशी ने यहां गोलू मंदिर में नेहरू प्लेनेटेरियम (दिल्ली), दैनिक जागरण, ऐरीज व स्टार गेट के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित बापू खगोल मेले में कही। बीती रात तारा मंडल अवलोकन के दौरान उन्होंने दूरबीन की कार्यविधि विस्तार से बताई। बच्चों ने भी नक्षत्र, आकाशगंगा, ब्लैकहोल, बिगबैंग आदि तमाम पहलुओं पर प्रश्न पूछे। प्रो. संतोष ने उनकी जिज्ञासा शांत कर बेहद रोचक बिंदुओं पर प्रकाश डाला। बताया कि नैनीताल जनपद के देवस्थल में एशिया की सबसे बड़ी 3.6 मीटर व्यास वाली दूरबीन है। अब लिक्विड मिरर टेलीस्कोप (चार मीटर)स्थापित करने की तैयारी है। यह भी बताया कि भारत, चीन, अमेरिका, जापान व कनाडा 30 मीटर दूरबीन पर मिलकर काम कर रहे। यूरोपीय देश 40 मीटर व्यास वाली दूरबीन बना रहे। अंतरिक्ष की विशालता जानने के लिए दूरबीन का उतना ही पड़ा होना बेहद जरूरी होता है। बताते चलें कि महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर उन स्थानों पर बापू खगोल मेला लगाया जा रहा है, जहां महात्मा गांधी ने पहुंच खगोल पर अध्ययन किया। इनमें ताड़ीखेत भी शामिल है। इस मौके पर वैज्ञानिक केएस बालचंद्रन, प्रधानाचार्या जीजीआइसी डॉ. भारतीनारायण भट्ट, वरिष्ठ शिक्षिका रोजी नैयर, सीमा बोरा, मंजू आरएल साह, गोपाल अधिकारी, दीपक जोशी, प्रमोद जोशी, ध्यान सिंह नेगी, महेंद्र बिष्ट, श्याम सिंह रावत, किशन बिष्ट आदि मौजूद रहे।
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