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अधर में लटका बाइपास मार्ग का सर्वे

हादसों के लिहाज से अतिसंवेदनशील अल्मोड़ा-पिथौरागढ़हाईवे पर हादसे रोकने को बाइपास को सैद्धांतिक स्वीकृति के बाद भ्भी लोनिवि सर्वे पूरा नहीं कर पाया है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 01 Jan 2021 11:00 PM (IST)Updated: Fri, 01 Jan 2021 11:00 PM (IST)
अधर में लटका बाइपास मार्ग का सर्वे

संस, अल्मोड़ा : हादसों के लिहाज से अतिसंवेदनशील अल्मोड़ा-पिथौरागढ़हाईवे पर हादसे रोकने को बाईपास को सैद्धांतिक स्वीकृति के 44 दिन बाद भी लोनिवि पूरा सर्वे नहीं करा सका है। ऐसे में चितई से पेटशाल तक वैकल्पिक सड़क का एस्टीमेट भी शासन को नहीं भेजा जा सका है। 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान आपात स्थिति में सीमांत पिथौरागढ़ तक बनी इस रोड को राष्ट्रीय राजमार्ग का दर्जा तो दे दिया गया मगर उस दौर का एलाइनमेंट ठीक न होने से तीखे ढलान वाले मोड़ वाहनों के बढ़ते दबाव के बीच जानलेवा साबित हो रहे हैं।

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अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग पर चितई से पेटशाल के बीच दुर्घटना जोन कालीधार बैंड पर हादसों से बचने को बाईपास निर्माण की मांग डेढ़ दशक पूर्व से उठती आ रही है। वर्ष 2017 में जनदबाव के बीच शुरू वैकल्पिक सड़क के अधर में लटने के बाद स्थानीय ग्रामीणों व प्रवासियों ने राज्य व केंद्र सरकार से पत्राचार तेज किया। जनहित से जुड़े इस मुद्दे 'दैनिक जागरण' लगातार प्रमुखता से उठाता रहा। खबर का संज्ञान ले बीते नवंबर पहले सप्ताह में केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने लोनिवि से सड़क की उपयोगिता पूछी।

ईई एनएच एमपीएस कालाकोटी ने हादसे रोकने को बाईपास निर्माण को बेहद जरूरी बता टिप्पणी भेजी थी। इस पर बीती 17 नवंबर को केंद्र ने चितई पेटशाल बाईपास को सैद्धांतिक स्वीकृति दे दी थी। मगर निर्माणाधीन सड़क का सर्वे अब तक पूरा नहीं हो सका है।

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ईई ने एई से मांगा आगणन

अधिशासी अभियंता लोनिवि आशुतोष कुमार ने सहायक अभियंता को पत्र लिख 31 दिसंबर तक बाईपास का सर्वेक्षण पूरा कर आगणन प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। ताकि तकनीकी स्वीकृति प्राप्त कर सड़क निर्माण को निविदा मंगाने की कार्यवाही पूरी की जा सके।

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ये है पूरा मामला

वर्ष 2004 में चितई व पेटशाल के बीच डेंजर जोन कालीधार में तीखे मोड़ पर बस खाई में जा गिरी थी। इसमें 30 लोग मारे गए थे। दोबारा जनहानि न हो, इसके लिए चितई पंत तिराहा से पेटशाल तक आठ किमी बाइपास की पुरजोर मांग उठी। इससे चितई पंत व तिवारी, मैन्यूली तथा पातालदेव (पातालद्यो) के ग्रामीणों को भी बड़ा लाभ होता। जनदबाव में कुछ वर्ष पूर्व बाइपास निर्माण शुरू हुआ। 1.19 करोड़ खर्च भी हुए। मगर सियासी खींचतान में वनभूमि का पेंच लगने से लोनिवि ने चितई तिवारी अंतिम छोर तक दो किमी सड़क बना शेष निर्माण कार्य अधूरा छोड़ दिया। इससे बाईपास की मंशा भी अधूरी रह गई।

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इसलिए जरूरी है बाईपास

= वर्ष 2004 में पिथौरागढ़ से हल्द्वानी जा रही केमू की बस कालीधार के तीखे मोड़ पर खाई में गिरी, 30 की मौत।

= वर्ष 2014 में ही कार दुर्घटनाग्रस्त, एक मरा

= वर्ष 2017 में शिक्षकों से भरी मैक्सजीप कालीधार में गिरी, चालक समेत आठ की मौत।

= इसी वर्ष बीती 31 अक्टूबर को तीखे ढलान पर डंपर पलटा, एक मरा।

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===== वर्जन

'प्रारंभिक सर्वे तो पहले ही किया जा चुका है। डिटेल सर्वे रह गया है। सोमवार तक संपूर्ण सर्वेक्षण कार्य पूरा करा लिया जाएगा। इसके बाद एस्टीमेट तैयार कर शासन को भेजा जाएगा। बाईपास निर्माण में सात से आठ करोड़ रुपये की लागत का अनुमान है।

- किशोर सिंह पटवाल, एई लोनिवि


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