वादियों में गुम हुए संगीत के स्वर
संवाद सहयोगी अल्मोड़ा कदमों की ताल से नृत्य के आसमान पर पहुंचे उदयशंकर ने विश्व पटल पर
संवाद सहयोगी, अल्मोड़ा : कदमों की ताल से नृत्य के आसमान पर पहुंचे उदयशंकर ने विश्व पटल पर अल्मोड़ा का नाम तो दर्ज कराया। उनके नाम पर जब संगीत अकादमी बनाने का एलान हुआ तो संगीत प्रेमियों की आंखों ने एक सपना भी देखा। यह सपना था शोहरत की बुलंदियों को छूने का, संगीत को करियर बनाकर दुनिया तक पहुंचाने का और सुरों के आसमान पर चमकने का। लेकिन व्यवस्था की अनदेखी अरमानों पर भारी पड़ गई। सपनों पर पंख तो लगे लेकिन सपना आज भी साकार नहीं हो पाया।
पर्वतीय जिलों की संगीत प्रतिभाओं को बेहतर मंच मिल सके। इसके लिए वर्ष 2001 में तत्कालीन केंद्रीय संस्कृति मंत्री जगमोहन ने नृत्य सम्राट उदयशंकर की कर्मस्थली अल्मोड़ा में उनकी समृद्ध परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए उदयशंकर नाट्य अकादमी को स्वीकृति प्रदान की। फलसीमा में इस संस्थान के लिए भूमि भी चयनित की गई। इस संस्थान की स्थापना के पीछे उद्देश्य संगीत प्रतिभाओं का उत्थान और नृत्य विधा को विश्व पटल पर ख्याति दिलाना था। स्वीकृति के बाद तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने इस संस्थान की नींव भी रखी। योजना के तहत देश विदेश के शोधार्थियों के लिए यहां एक संग्रहालय खोलने की भी योजना भी थी। करीब आठ करोड़ की अधिक की धनराशि से सालों बाद संस्थान का भवन भी बनकर तैयार हो गया, लेकिन आज तक यह संस्थान जिस उद्देश्य के लिए खोला गया वह पूरा नहीं हो पाया है। कभी कबार कुछ गतिविधियों के अलावा अक्सर इस संस्थान पर ताला लटका रहता है। ना तो यहां संगीत की कक्षाएं शुरू हो पाई और ना ही इस विधा के विशेषज्ञों को यहां तैनात किया गया। जिस कारण अब करोड़ों रुपये का संस्थान का भवन महज सफेद हाथी साबित हो रहा है। संगीत प्रेमियों की मानें तो किसी भी सरकार ने आज तक इस महत्वपूर्ण संस्थान के संचालन के लिए कोई कार्रवाई करना मुनासिब नहीं समझा। जिस कारण संगीत से जुड़ी प्रतिभाओं को निराशा ही हाथ लगी है।
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550 सीटों का है ऑडिटोरियम
अल्मोड़ा : फलसीमा स्थित उदयशंकर नृत्य अकादमी में 550 सीटों वाले ऑडिटोरियम का भी निर्माण किया गया है। ऑडिटोरियम में लाखों रुपये की लागत से कई उपकरण भी लगाए गए हैं। लेकिन संस्थान का विधिवत संचालन न होने के कारण ऑडिटोरियम भी बंद ही रहता है।
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अल्मोड़ा में स्थापित उदयशंकर नाट्य अकादमी में विभिन्न प्रकार की सांस्कृतिक गतिविधियों का संचालन शुरू कर दिया गया है। संगीत की कक्षाएं नियमित रूप से संचालित की जा सकें। इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
बीना भट्ट, निदेशक संस्कृति विभाग, उत्तराखंड