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पहाड़ में गूंजे बुदेलखंड व रायबरेली के सोहर गीत

संवाद सहयोगी, रानीखेत : 'जन्मे राम सलोना अवध में, राजा जनक के आंगन में आ बैठे राम..'। प

By JagranEdited By: Published: Tue, 13 Nov 2018 11:12 PM (IST)Updated: Tue, 13 Nov 2018 11:12 PM (IST)
पहाड़ में गूंजे बुदेलखंड व रायबरेली के सोहर गीत

संवाद सहयोगी, रानीखेत : 'जन्मे राम सलोना अवध में, राजा जनक के आंगन में आ बैठे राम..'। पहाड़ की सुरम्य वादियां बुंदेली व रायबरेली के लोक एवं सोहर गीतों से गूंज उठी। जनसमाज के भाव यानी लोकगीतों के जरिये उत्तर प्रदेश के ग्रामसमाज से पहली बार देवभूमि पहुंची मेहनतकश महिला किसानों ने न केवल उत्तराखंड से पुराने रिश्तों की याद ताजा कराई, बल्कि अपने गीतों के माध्यम से भक्ति, लोकजीवन व संस्कृति के साथ भौगोलिकता, ऐतिहासिकता व पुरुषार्थ का बखूबी चित्रण किया। खास बात कि पर्वतीय वादियों के अभिभूत उप्र की मातृशक्ति ने देवभूमि की सांस्कृतिक विरासत एवं परंपरागत खेती को बचाने के लिए महिलाओं को प्रोत्साहित किए जाने की पुरजोर वकालत भी की। मौका था राज्य जैविक कृषि प्रशिक्षण एवं अनुसंधान केंद्र मजखाली (रानीखेत) में मंगलवार को जैविक खेती प्रशिक्षण के शुभारंभ का। रायबरेली, झांसी व उन्नाव से पहुंची महिला किसानों ने श्रीगणेश किया सोहर व बुंदेली गीतों से। 'भाए हैं मनमोहन के साथ ग्वालन के, गए दधि खाने को, जाय घुसे गूजरिया के घर में ग्वालन संग गोपाल..' आदि गीतों के जरिये कृष्णलीला के साथ पशुपालन व खेती से जुड़े रहने का संदेश दिया। किसान अंधाधुंध रसायनों के इस्तेमाल से दुष्प्रभावों से बचने को यहां जैविक कीटनाशक व खाद तैयार करने का प्रशिक्षण लेकर लौटेंगी।

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फोटो : 13 आरकेटी पी 2

'पहली बार पहाड़ आई हैं। यहां से जैविक खेती के तौर तरीके सीख रायबरेली में किसानों को जागरूक करेंगी।

- सदावती विश्वकर्मा, हरचंद्रपुर रायबरेली'

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फोटो : 13 आरकेटी पी 3

'देवभूमि से जैविक खेती रूपी ज्ञान की गठरी लेकर जाएंगी, जिसे हरचंद्रपुर ब्लॉक के गांवों में बांटेंगी। ताकि रसायनमुक्त खेती को बढ़ावा दे सकें।

- कमलादेवी अवस्थी, समाजसेवी रायबरेली'

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फोटो : 13 आरकेटी पी 4

'सुना है उत्तराखंड में अच्छी सेहत का राज जैविक खेती है। यहां से प्रशिक्षण लेकर अपने क्षेत्र में लोगों को प्रेरित करेंगी।

- शिवकुमारी, हरचंद्रपुर'

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फोटो : 13 आरकेटी पी 5

'अच्छी पैदावार की होड़ में उप्र में रासायनिक खादों का अंधाधुंध इस्तेमाल हो रहा। इससे खेतों की उर्वरा शक्ति कम हो रही। यहां से प्रशिक्षण लेकर औरों को भी लाभ देंगी।

- मधु सिंह, लाखनसिंह का पुरवा गांव'

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फोटो : 13 आरकेटी पी 6

'झासी में खेती महिलाएं ही संभालती हैं। उत्तराखंड सरकार को महिलाओं को प्रेरित कर खत्म हो रही खेती को बचाने के प्रयास करने चाहिए।

- रानी कुशवाहा, झांसी'

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फोटो : 13 आरकेटी पी 7

'हमारा फुटेरा बरवासागर जैविक न्याय पंचायत बन गया है। जैविक सफेद मूसली, अदरक, हल्दी व सब्जियां कानपुर, लखनऊ, पंजाब, हरियाणा तक बिक रही।

- अनीता कुशवाहा, फुटेरा बरवासागर झांसी'

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34 सदस्यीय दल है शामिल

उत्तर प्रदेश कृषि प्रबंधन संस्थान रहमानखेड़ा (लखनऊ) की पहल पर झांसी से 17, उन्नाव से नौ व रायबरेली से सात महिला किसान यहां जैविक खेती के पांच दिनी प्रशिक्षण को पहुंची हैं। इसमें कृषि निदेशालय लखनऊ की डॉ. अनीता सिंह, केंद्र प्रभारी डॉ. देवेंद्र नेगी, प्रबंधक मनोहर अधिकारी, डॉ. सुमन महान आदि व्याख्यान दे रहे।


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