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पाले की मार से झुलसे आम के पेड़

संवाद सहयोगी, चौखुटिया: जाड़े के सीजन में बारिश न होने से समूची गेवाड़ घाटी पाले की चप

By JagranEdited By: Published: Fri, 18 Jan 2019 11:02 PM (IST)Updated: Fri, 18 Jan 2019 11:02 PM (IST)
पाले की मार से झुलसे आम के पेड़
पाले की मार से झुलसे आम के पेड़

संवाद सहयोगी, चौखुटिया: जाड़े के सीजन में बारिश न होने से समूची गेवाड़ घाटी पाले की चपेट में है। अत्यधिक पाला गिरने से आम के पेड़ों की पत्तियां व टहनियां सूख चुके हैं, या फिर सूखने के कगार पर हैं। इससे पेड़ों पर बौर लगने की संभावनाएं क्षीण हो गई है। नतीजा आम की पैदावार चौपट होने के आसार बढ़ गए हैं। इससे काश्तकार अभी से चिंतित हो उठे हैं। तल्ला गेवाड़ में पाले का सर्वाधिक प्रभाव दिख रहा है।

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विकास खंड के गेवाड़ घाटी क्षेत्रों में आम का सर्वाधिक उत्पादन होता है। एक मोटे अनुमान के अनुसार अच्छी फसल होने पर यहां सीजन में करीब डेढ़ करोड़ कच्चे आम का व्यवसाय होता है। इससे काश्तकारों की रोजी-रोटी भी जुड़ी है, लेकिन इस बार जाड़े के शुरुआती सीजन दिसंबर में गिरे तेजाबी पाले ने पेड़ पौधे सूखा दिए है। इसका आम के पेड़ों पर अधिक प्रभाव पड़ा है। पाले से पेड़ों की पत्तियां व कोपलें सूख गए हैं। पाले का सबसे अधिक असर तल्ला गेवाड़ में पड़ा है। जहां आम के पेड़ सूखे नजर आ रहे हैं। एक अनुमान के अनुसार तल्ला गेवाड़ वाले भूभाग में पाले का आम के पेड़ों पर 70 से 75 फीसद असर है। महाकालेश्वर बेल्ट में 20 से 25 फीसद प्रभाव है। जबकि अन्य क्षेत्रों में पाले का असर अपेक्षाकृत कम है।

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फोटो न-18सीकेएचपी2, बसंत उपाध्याय।

खनुली व आसपास के गांवों में पाले से आम के अधिकांश पेड़ों की पत्तियां सूख गए हैं तथा पैदावार की संभावना एकदम क्षीण हो चुकी है। इससे इस बार आम उत्पादक घाटे में रहेंगे तथा लाखों का नुकसान होने की आशंका है।

-बसंत उपाध्याय, काश्तकार खनुली-मासी, चौखुटिया

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फोटो न-18सीकेएचपी3, शिव दत्त।

सीजन में क्षेत्र के अधिकांश काश्तकार कच्चा आम बेचकर अपने परिवार का खर्च चलाते हैं व परिवार का भरण पोषण करते हैं। इस बार पड़े पाले ने लोगों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। क्षेत्र में अधिकांश पेड़ सूख गए हैं।

-शिव दत्त, आम उत्पादक ग्राम खनुली, गल्ला गेवाड़

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फोटो18सीेकेएचपी4, हीरा सिंह।

सीजन में यहां घाटी क्षेत्रों में कच्चे आम का व्यवसाय होता है। काश्तकार आम बेचकर अपनी आजीविका चलाते हैं, लेकिन इस बार पाले से 80 फीसद आम के पेड़ सूख गए हैं। इससे लोग काफी व्यथित व चिंचित हैं।

-हीरा सिंह आम उत्पादक, कोट््यूड़ा मासी

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अत्यधिक मात्रा में पाला गिरने से आम की पत्तियां व कोपलें सूख जाती है। इसका प्रभाव पैदावार पर पड़ता है तथा पेड़ों पर फरवरी में बौर लगने की संभावना क्षीण हो जाती है। झुलसे पेड़ों का फिलहाल उपचार संभव नहीं है, लेकिन धुंआ लगाने व 5 वर्ष तक के पेड़ों को प्लास्टिक से ढक कर पाले से बचाया जा सकता है।

-नवीन चंद्र चमकनी पूर्व वरिष्ठ उद्यान निरीक्षक एवं बैरती निवासी काश्तकार


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