Move to Jagran APP

कुमाऊंनी बोली के संरक्षण व संव‌र्द्ध को उपाय जरूरी

संवाद सहयोगी, अल्मोड़ा : विलुप्त हो रही कुमाऊंनी बोली के साथ ही संस्कृति व साहित्य को संजो

By JagranEdited By: Published: Sun, 11 Nov 2018 06:10 PM (IST)Updated: Sun, 11 Nov 2018 06:10 PM (IST)
कुमाऊंनी बोली के संरक्षण व संव‌र्द्ध को उपाय जरूरी
कुमाऊंनी बोली के संरक्षण व संव‌र्द्ध को उपाय जरूरी

संवाद सहयोगी, अल्मोड़ा : विलुप्त हो रही कुमाऊंनी बोली के साथ ही संस्कृति व साहित्य को संजोये रखना है तो इससे बच्चों व युवाओं को बचपन से ही जोड़े रखना आवश्यक है।

loksabha election banner

ये बातें तीन दिवसीय कुमाऊंनी भाषा सम्मेलन के दूसरे दिन मुख्य अतिथि ने कही। अपने संबोधन में साहित्यकार डॉ. सीएस फुलोरिया ने कहा कि प्रतियोगी परीक्षाओं में कम से कम 25 प्रतिशत प्रश्न कुमाऊंनी व गढ़वाली बोलियों पर आधारित होनी चाहिए। वहीं दूसरे सत्र में मुख्य वक्ता डॉ. दिवा भट्ट ने कहा कि कुमाऊंनी में महिला लेखकों की संख्या काफी कम है। अत: साहित्य के विकास हेतु महिला रचनाकारों को सामने आने और महिलाओं को प्रेरित करने की जरूरत है। सत्र की अध्यक्षता करते हुए समाजशास्त्र की प्राध्यापक ईला साह ने कहा कि महिलाएं कुमाऊंनी रीति रिवाज, परंपराओं, संस्कारों का पालन कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। इस अवसर पर डॉ. मनोहर बृजवाल, ब्रिगेडियर डी के जोशी, गीता ठाकुर, कांति बहन, दीपा कांडपाल, शांति चंद, पूरन चंद्र कांडपाल, नीलम नेगी, गोपाल चम्याल, कृपाल ¨सह व शीला समेत अन्य रचनाकारों व लेखकों ने भी अपने विचार रखे।

............

पुस्तक प्रदर्शनी में उमड़ी भीड़

सम्मेलन के दौरान कुमाऊंनी भाषा, साहित्य संस्कृति, व्याकरण और शब्दकोष से संबधित 150 से अधिक लेखकों की पुस्तकों की प्रदर्शनी लगाई गई।

.............

रचनाकारों को मिला सम्मान

डॉ. पुष्पलता जोशी , देवेंद्र कड़ाकोटी, डॉ. पवनेश ठकुराठी, शिवराज ¨सह भंडारी, महेंद्र सिह, नारायण ¨सह व भुवन चंद्र जोशी को उनके लेखन के लिए सम्मानित किया गया।

..............

पुस्तकों का हुआ लोकार्पण

कुमाऊंनी भाषा सम्मेलन के दूसरे दिन दिल्ली से आए साहित्यकार गिरीश चंद्र बिष्ट हंसमुख के कुमाऊंनी उपन्यास हवसियाट, नवीन चंद्र जोशी के कुमाऊंनी नाटक बोकी का लोकार्पण किया गया।

..........

कुमाऊंनी व्यंजन भी रहे आकर्षण

सम्मेलन में पहुंचे देश के तमाम प्रांतों के रचनाकारों ने कुमाऊंनी व्यंजन भट्ट के डुबके, मडवे की पूड़ी, गडेरी की सब्जी, भट्ट की चुड़कानी व ¨झगोरे की खीर की स्वाद चखा।

...........

कवि सम्मेलन में बही काव्य की रसधार

सम्मेलन के दूसरे दिन देश भर से आए कुमाऊंनी कवियों ने कवि सम्मेलन में भी शिरकत की। इस दौरान कवियों ने विविध रस की कविताओं को सुनाकर श्रोताओं की वाह वाही लूटी। सम्मेलन में 60 से अधिक कवियों ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत की।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.