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गरीबी से लड़ते नियति से हार गया गरीब धरतीपुत्र

अल्मियागाव तैलमैनारी के मूक बधिर रमेश राम इस बार नियति से हार गया है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 08 Jul 2020 11:11 PM (IST)Updated: Thu, 09 Jul 2020 06:15 AM (IST)
गरीबी से लड़ते नियति से हार गया गरीब धरतीपुत्र

जगत सिंह रौतेला, द्वाराहाट

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अल्मियागाव तैलमैनारी के मूक बधिर रमेश राम से उसकी किस्मत हमेशा रूठी रही। आर्थिक तंगी में उसने बेशक खुद व परिवार का हौसला नहीं टूटने दिया। उसके अपने खेत नहीं थे। पर वह दूसरों के खेतों पर हल लगा स्वाभिमान से घर चला रहा था। मगर उम्र के इस पड़ाव में आकर बारिश के एक झटके ने उसे तोड़ कर रख दिया। आंखों के सामने उसने पत्नी व बेटियों को तड़पते देखा। चाह कर भी काल बन गिरे मलबे से उन्हें बचा नहीं सका। वह खुद भी तड़प रहा था लेकिन छोटी बेटी की पीड़ा उसे अंदर तक झकझोर गई। जिंदा बच निकलने का अफसोस उसके चेहरे पर साफ झलक रहा। आखिर आशियाना टूटने के साथ उसकी जीवनसाथी व फूल जैसी बेटियां तन्हा जो छोड़ गई।

रमेश राम के पास खुद के खेत नहीं थे। मगर गांव वालों के लिए असल धरतीपुत्र वही था। दूसरों के खेतों में हल लगाता। बेहतर फसल होने पर उसे जो खुशी मिलती, उसे अपने परिवार के साथ बांटता। खेती के अलावा मूकबधिर रमेश मजदूरी भी करता। इसमें हाथ बंटाती थी उसकी पत्नी चंद्रा देवी। गरीबी के बावजूद सब कुछ हंसी खुशी चल रहा था। मगर नियति का खेल तो देखिए। मेघ भी मानो गरीब का ही सब कुछ छीनने के लिए जमकर बरसी। बदहवास रमेश राम अब जीवनसंगिनी व दो फूल जैसी बेटियां खोने के बाद बुरी तरह टूट चुका है। किसी बहाने जिंदा बच निकला बेटा किशन पिता को सहारा दे रहा पर वह हार चुका है।

==बेटे की शादी का सपना बुन रही थी चंद्रादेवी

मेहनत मजदूरी कर बड़ी खुशियां पाने की चाह रखने वाले रमेश राम के अरमान मूसलधार बारिश ने पलक झपकते ही धो डाले। 8वीं तक पढ़ा 23 वर्षीय बेटा किशन राम भी मजदूरी कर पिता को सहारा देता आ रहा। ग्रामीणों के अनुसार मां चंद्रा देवी बेटे की शादी के लिए चिंतित रहने लगी थी। वह इधर उधर से रिश्ता ढूंढ भी रही थी। यही सोच कर शायद लक्ष्मी घर में आएगी तो फिर बेटियां विदा करेगी। रमेश राम पत्नी की पहल से निश्चिंत था। अब बेटे के लिए अकेला कैसे रिश्ता ढूंढेगा।

== बेटियों की पढ़ाई न रुकने दी

माली हालत खस्ता होने के बावजूद चंद्रा देवी ने अपने बेटियों कमला व पिंकी की पढ़ाई में रुपयों की कमी आड़े न आने दी। राजकीय जूनियर हाईस्कूल में अध्ययनरत कमला (17) ने इस बार 12वीं की बोर्ड परीक्षा दी थी। छोटी पिंकी (12) 8वीं में थी। दोनों मेहनती व लगनशील। राजकीय जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विनोद थापा ने बताया कि दोनों बहनें पढ़ाई में अच्छी थी। पड़ोसी महिलाओं के अनुसार कमला व पिंकी पढ़लिख कर सरकारी नौकरी करने व माता पिता की सेवा का सपना बुना करती थीं।

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'यह हृदयविदारक घटना है। मैं देहरादून में हूं। फोन कर पता लगाया। राज्य सरकार ने आपदा में जान गंवाने वाले व मकान टूटने पर धनराशि कम कर दी है। हमारी कांग्रेस सरकार में दो लाख रुपये न्यूनतम राशि थी। केदारनाथ की आपदा में पांच लाख से ज्यादा प्रभावितों को दिए गए थे। रमेश राम ने बहुत कुछ खो दिया है। उसके लिए जो भी संभव होगा, किया जाएगा।

- मदन सिंह बिष्ट, पूर्व विधायक'

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'अल्मियागाव में भयानक हादसा हुआ। वहा जाकर हालात का जायजा लिया। परिजनों से भी मिला। गरीब परिवार को तत्काल अन्न व अन्य चीजों की आवश्यकता है। उसे पूरी मदद देंगे।

- पुष्पेश त्रिपाठी, पूर्व विधायक'

== 'इस दर्दनाक हादसे ने तीन लोगों की जान ले ली। वहा जाकर परिजनों से मुलाकात की। ब्लॉक स्तर से जो भी सहायता बन पड़ेगी की जाएगी।

- दीपक किरौला, ब्लॉक प्रमुख'

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सिमलगांव में मकान खतरे की जद में

द्वाराहाट : लगातार हो रही बारिश जानमाल का नुकसान तो करने ही लगी है। भूधसाव के कारण कई मकान भी खतरे की जद में आ गए हैं। अनेक रास्ते भी क्षतिग्रस्त होने के कारण लोगों व मवेशियों की आवजाही भी बंद हो चली है। तीन दिन से लगातार हो रही बारिश ने अल्मियागाव तैलमैनारी में बीती रात्रि तीन जिंदगिया मौत के आगोश में समा गईं। सिमलगाव निवासी महेंद्र सिंह मकान की दीवार ढह जाने से पूरा मकान खतरे की जद में आ गया। उभ्याड़ी में नाला उफान पर आने के कारण दीवार ढह गई। जिससे भूपाल सिंह किरौला तथा अमर सिंह अधिकारी के मकानों को खतरा हो गया है। मल्ली मिरई में जानकी देवी का शौचालय क्षतिग्रस्त हो चुका है। बारिश के कहर ने घगलो?ी में दीवार गिर जाने के कारण देवकीनंदन तिवारी का मकान खतरे की जद में आ गया। जबकि विजयपुर में दूनागिरि पैदल मार्ग भी दीवार गिर जाने के कारण अवरुद्ध हो गया है।


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