वैश्विक आतंकवाद की चिंता तो पर्यावरण की फिक्र
जागरण संवाददाता, अल्मोड़ा : आजादी से पूर्व देशभक्ति व एकात्म मानवताववाद की अलख जगाते ग्रंथ 'दै
जागरण संवाददाता, अल्मोड़ा : आजादी से पूर्व देशभक्ति व एकात्म मानवताववाद की अलख जगाते ग्रंथ 'दैशिक शास्त्र' पर गहन चिंतन तो वैश्विक स्तर पर आतंकवाद की चिंता। वहीं लगातार बढ़ते पर्यावरण संकट की फिक्र भी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के विचारकों ने आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक आदि तमाम पहलुओं पर मंथन के बाद पं.दीनदयाल के एकात्म मानव के दर्शन को ही देश दुनिया में बढ़ती विषमता व विसंगतियों से पार पाने का सटीक हथियार माना। लगे हाथ 'खंड दृष्टि' वाले पश्चिम को इसके लिए पूरी तरह जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि भारत की 'एकात्म दृष्टि' ही समूचे विश्व को बचाने में अहम भूमिका निभाएगा।
'एकात्म मानव दर्शन एवं दैशिक शास्त्र' पर दो दिनी कार्यशाला एवं व्याख्यानमाला में संघ के विचारकों ने देश ही नहीं बल्कि दुनिया में उभरती विषमताओं व विसंगतियों पर गहन मनन किया। कहा कि पूरा विश्व मौजूदा दौर में उथल पुथल के दौर से गुजर रहा है। बीती दो तीन शताब्दियों में पश्चिम ने औद्योगिक विकास की जो सोच बढ़ाई। उसके साथ उत्पादन, उपभोग व भोग विलास के जो मापदंड हमारे सामने रखे हैं, उससे देश दुनिया पर्यावरण संकट व अन्य तमाम विसंगतियों में घिर गया है। मुख्य वक्ता पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. मुरली मनोहर जोशी ने बिगड़ते पर्यावरण पर चिंता जताते हुए कहा, सृष्टि ने जो दिया है, उसका पोषण तो हम कर सकते हैं, पर शोषण का अधिकार हमें नहीं है।
हम नदी को प्रदूषित नहीं बल्कि अपनी ही सेहत से खिलवाड़ कर रहे। दैशिक शास्त्र सृष्टि को मां मानता है, जिसमें एक शिशु मां का दूध ही पीता है, उसका खून नहीं पीता। विचारकों ने निचोड़ दिया कि वैश्विक परिदृश्य में चरम पर आतंकवादी, सांप्रदायिक उन्माद की विसंगतियों की बढ़ती समस्याओं से निबटने के लिए पं.दीनदयाल का एकात्म मानववाद का दर्शन व दैशिक शास्त्र समूचे विश्व को सही राह दिखा सकता है।
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इन मुख्य बिंदुओं पर चिंतन
= वैश्विक परिदृश्य में संतलित विकास को भारत ही नहीं बाहरी देशों में सार्थक बहस को आगे बढ़ाना। ताकि वैश्विक संवाद से वसुधैव कुटुंबकम् व विविधता में एकता को बल मिल सके।
= संतुलित विकास को प्राकृतिक संसाधनों व तकनीकी का वैज्ञानिक प्रबंधन सुनिश्चित करन को ठोस नीति, कार्यक्रम व प्रयोगों को आगे बढ़ाना
= पं.दीनदयाल शताब्दी व गांधी की सार्धशती (2019) एवं भारतीय मनीषा के आलोक में देश में आह सहमति बनाने, भारतीय चिंतन के आधार पर वैश्विक सनातन व प्रवाहमान सर्वसमावेशी एवं समरसतापूर्ण सामाजिक व्यवस्था
= समुचित विकास के प्रयोगों को आगे बढ़ाने को देश के विभिन्न क्षेत्रों में ग्राम संकुल योजना का प्रभावी क्रियान्वयन। आगामी आठ दस वर्षो में 1000 संकुलों में ठोस प्रयास। अनुप्रयोग के लिए उत्तराखंड प्रस्तावित।
= एकात्म मानव दर्शन के क्रियान्वयन को विशेष कार्यदल का गठन