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Almora: छेड़छाड़ का आरोपी बरी, बचाव पक्ष बोला- शिकायतकर्ता ने शादी से मना करने पर अंजाम भुगतने की दी थी धमकी

Almora news विवेचना और सबूतों में कमी के साथ ही बयानों में विरोधाभास पाया गया। बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने आरोपित के निर्दोष होने के साक्ष्य रखते हुए न्यायालय में अपील की। इस दौरान कोर्ट ने साक्ष्यों के आधार पर आरोपित को दोषमुक्त कर दिया।

By Jagran NewsEdited By: Rajesh VermaPublished: Fri, 30 Sep 2022 06:03 PM (IST)Updated: Fri, 30 Sep 2022 06:03 PM (IST)
Almora: छेड़छाड़ का आरोपी बरी, बचाव पक्ष बोला- शिकायतकर्ता ने शादी से मना करने पर अंजाम भुगतने की दी थी धमकी
Almora news : बयानों में भी कई चीजे मेल नहीं खा रही है।

जागरण संवाददाता, अल्मोड़ा : विशेष सत्र न्यायाधीश मलिक मजहर सुल्तान की अदालत ने पाॅक्सो एक्ट के आरोपित को दोषमुक्त सिद्ध कर दिया है। बयानों में विरोधाभास और पुलिस की विवेचना कमजोर होने पर आरोपित दोषमुक्त करार दिया गया।

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ये था आरोप

बीते आठ जनवरी 2021 को रानीखेत क्षेत्र में एक महिला ने कोतवाली में तहरीर दी थी। महिला का आरोप था कि चार जनवरी को उनकी नाबालिग पुत्री कंप्यूटर प्रशिक्षण के बाद घर आ रही थी तो अज्ञात युवक ने उसका पीछा कर हाथ पकड़कर छेड़छाड़ की कोशिश की। बड़ी मुश्किल से वह अपना हाथ छुड़ाकर भाग गई। अगले दिन वही युवक घर तक आ गया। पीड़िता के पिता ने उसे पकड़ने की कोशिश की तो वह हाथ छुड़ाकर भाग गया। मगर ताऊ ने पीछा करते हुए पकड़ लिया।

अज्ञात पर दर्ज कराया केस

लिखित रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने पाक्सो समेत विभिन्न धाराओं में अज्ञात के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर लिया था। विवेचना में आरोपित मुसरत पुत्र अबरार निवासी बगीचा नाई मोहल्ला रानीखेत का नाम प्रकाश में आया।

पुलिस को नहीं मिले सबूत

इधर आरोपित की ओर से अधिवक्ता डीके जोशी ने साक्ष्य और विवेचना आदि न्यायालय में पेश किए। विवेचना और सबूतों में कमी के साथ ही बयानों में विरोधाभास पाया गया। अधिवक्ता ने आरोपित के निर्दोष होने के साक्ष्य रखते हुए न्यायालय में अपील की। इस दौरान कोर्ट ने साक्ष्यों के आधार पर आरोपित को दोषमुक्त कर दिया।

बचाव पक्ष की दलील

बचाव पक्ष में आरोपित के जीजा मोहम्मद उसमान ने न्यायालय को दिए बयान में बताया कि पीड़िता की मां पूर्व में उनके साले से अपनी पुत्री का विवाह करवाना चाहती थी। मना करने पर अंजाम भुगतने की धमकी दी थी। अधिवक्ता ने न्यायालय को बताया कि छह जनवरी से पीड़िता की मां आरोपित का नाम जानती थी इसके बाद भी आठ जनवरी को अज्ञात के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करना संदेश की श्रेणी में आता है। बयानों में भी कई चीजे मेल नहीं खा रही है। पुलिस ने विवेचना की लेकिन नाबालिग का हाथ पकड़ने वाले सार्वजनिक स्थान पर भी विवेचक को एक भी निष्पक्ष साक्षी नहीं मिला जिसके बयान लिए जा सके।


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