महासंकट में रुला रही महंगाई डायन
वैश्विक महासंकट से जूझ रहे लोगों पर अब महंगाई की बड़ी मार पड़ी है।
संस, अल्मोड़ा : वैश्विक महासंकट से जूझ रहे लोगों पर अब महंगाई की बड़ी मार पड़ी है। आटा चावल में कुछ राहत है तो अरहर व मटर के दाम अचानक बढ़ गए हैं। सब्जियां तो गरीबों को जैसे मुंह चिढ़ा रही। पहाड़ की परंपरागत सब्जियां ही गरीब परिवारों से दूर होने लगी है। फ्रासबीन की कीमत आम आदमी की पहुंच से एकदम बाहर हो गई है।
कोरोना सं जंग को पौष्टिक खाद्य पदार्थों का जोर है। मगर पहाड़ में महंगाई ने रसोई का बजट बिगाड़ना शुरू कर दिया है। पिछले 15 दिन के उतार चढ़ाव पर नजर दौड़ाएं तो महंगाई बेलगाम सी हो चली है। पखवाड़े के भीतर अरहर के दाम पांच रुपया प्रति किलो बढ़ा है। पूर्व में कीमत 95 अब सौ रुपया प्रति किलो बिक रही। सूखा मटर दो सप्ताह पूर्व तक 75 अब 80 रुपया हो गया है। खाद्य तेल मैं सरसों सौ से 120 रुपये प्रति लीटर हो गया है। यानी 20 रुपये महंगा।
इसके अलावा सब्जियों के दाम में और ज्यादा उछाल आया है। मूली पहले 40 तो अब 50 रुपये प्रति किलो, पहाड़ी करेला 40 से बढ़कर 60 रुपये प्रति किलो पहुंच गया है। बैगन का भी यही हाल है। फ्रांसबीन ने लंबी छलांग ली है। पखवाड़ा पूर्व 30 मगर अब 60 रुपया प्रति किलो जा पहुंची है। पत्ता गोभी 30 से 40, फूल गोभी व शिमला मिर्च 60 से 80, प्याज 40 से 50, आलू 30 से 50 रुपया प्रति किलो बिक रही।
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फोटो : 7 एएलएम पी 11
'राज्य सरकार को महंगाई पर नियंत्रण के लिए कारगर कदम उठाने चाहिए। किसान से सस्ते में खरीद बिचौलिये महंगे में उपज बेचते हैं। फसल उत्पादक को उतना लाभ नहीं मिलता। वहीं महंगाई से गरीबों को ज्यादा परेशानी है।
- मनीष बिष्ट, बाड़ी बगीचा मोहल्ला'
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फोटो : 7 एएलएम पी 12
'महंगाई तेजी से बढ़ रही है। कोरोना ने वैसे ही रोजगार पर संकट ला दिया है। उस पर थोड़ा बहुत में गुजारा करने वाले बेरोजगारों को राहत देने के लिए बाजार पर नियंत्रण बेहद जरूरी है। तभी महंगाई पर लगाम लग सकेगी।
- मनोज अधिकारी, मोहल्ला थपलिया'