घी से निर्मित गुफा में समाधिस्थ हुए भोले बाबा
संवाद सहयोगी, दन्यां : विश्व प्रसिद्ध जागेश्वरधाम में मकर संक्रांति से भगवान भोलेनाथ एक माह के लि
संवाद सहयोगी, दन्यां : विश्व प्रसिद्ध जागेश्वरधाम में मकर संक्रांति से भगवान भोलेनाथ एक माह के लिए गुफा में तपस्यारत रहते हैं। गाय के घी से तैयार पावन गुफा में पुजारियों ने मंगलवार को पूर्ण विधि विधान से भोलेनाथ को प्रवेश कराया। फाल्गुन माह की संक्रांति को पुन: भोलेनाथ श्रद्धालुओं को दर्शन देंगे।
जागेश्वरधाम में प्राचीन परंपरा व मान्यताओं के अनुसार भगवान भोले शंकर प्रतिवर्ष माघ के पवित्र माह में ध्यानमग्न रहते हैं। इसी मान्यता के अनुसार ज्योतिर्लिग नागेश महादेव भी माघ माह में तपस्यारत रहते हैं। इसके लिए जागेश्वरधाम के समस्त पुजारियों द्वारा 25 किग्रा गाय के घी को पानी में उबालकर 21 किग्रा होने तक शुद्ध किया गया। इस घी से गुफा तैयार की गई और भोलेनाथ को इसमें पदार्पित किया गया। यह प्रक्रिया जगेश्वरधाम में होने वाले भोग पूजन के समय की गई। फाल्गुन एक गते को पुन: भोलेनाथ को गुफा से बाहर निकाल कर श्रद्धालुओं के दर्शन कराये जाते हैं। गुफा रूपी यह शिवलिंग प्रसाद के रूप में बांटा जाता है। इस दिव्य रूप प्रसाद में अनेक प्रकार के औषधीय गुण होते हैं। फाल्गुन माह की संक्रांति को दूर- दूर से लोग प्रसाद ग्रहण करने यहां पहुंचते हैं। भोले बाबा को गुफा में प्रविष्ट कराने के जागेश्वरधाम के पुजारियों सहित मंदिर समिति के सदस्यों, पंडों और पुरोहितों ने अनुष्ठान कराया।
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माईग्रेन और सिर से सम्बन्धित बीमारियों की अचूक दवा
फोटो: 15डीएनआईपी6
विवरण: प्रधान पुजारी हेमंत भट्ट
गुफा रूपी शिवलिंग का प्रसाद तमाम औषधीय गुणों से युक्त माना गया है। गाय के शुद्ध घी से तैयार चमत्कारी प्रसाद को माईग्रेन, सिर की अनेक व्याधियों और चर्म रोग को जड़ से दूर करने की रामबाण औषधि माना गया है। इसी विश्वास के चलते विभिन्न प्रांतों के शिव भक्त इस प्रसाद को मंगाते हैं अथवा इसे प्राप्त करने के लिए जागेश्वरधाम आते हैं।
-हेमंत भट्ट, प्रधान पुजारी जागनाथ मंदिर