युवा शोधार्थियों की बदौलत आत्मनिर्भर बनेंगे हिमालयी राज्य : डॉ. रावल
अल्मोड़ा में राष्ट्रीय हिमालयी अध्ययन मिशन के तहत दो दिनी ऑनलाइन सम्मेलन में अहम सुझाव रखे गए।
संवाद सहयोगी, अल्मोड़ा : राष्ट्रीय हिमालयी अध्ययन मिशन के तहत दो दिनी ऑनलाइन सम्मेलन में विभिन्न राज्यों के युवा शोधार्थियों ने अलग- अलग विषयों पर किए गए शोध कार्यो के जरिए भविष्य की चुनौतियों से निपटने के संकेत दिए। भूगर्भीय लिहाज से अतिसंवेदनशील उत्तराखंड में जलजनित आपदा संवेदी क्षेत्रों के चयन, अध्ययन तथा ऑर्किड प्रजातियों के संरक्षण, आजीविका के लिए बांस सदृश्य प्रजातियों के उत्पादों की संभावनाओं पर किए गए शोध को बखूबी प्रस्तुत किया। वहीं, नगालैंड में जल की गुणवत्ता व मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव, मृदा में नैसर्गिक रूप से बीजों की मौजूदगी एवं मृदा बीज बैंक, असम की प्रसिद्ध कारबी जनजाति के जीवन, रहन सहन व परंपरागत ज्ञान के संकलन आदि पर किए जा रहे शोधकार्यो से विषय विशेषज्ञों को रूबरू कराया।
जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण शोध संस्थान कोसी कटारमल में शुक्रवार को दो दिनी युवा शोधार्थी सम्मेलन में अब तक हुए शो धकार्यो पर मंथन किया गया। निदेशक डॉ. आरएस रावल ने कहा कि शोधार्थियों की मेहनत हिमालयी राज्यों के डेटाबेस को और समृद्ध करेगा। आत्मनिर्भरता भी बढ़ेगी। शोधार्थी जल संसाधन, जैवविविधता व परंपरागत ज्ञान संसाधन पर जो आंकड़े जुटा रहे हैं, वह भविष्य के लिए लाभकारी होंगे।
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नए क्षेत्रों में नई विधि से शोध सराहनीय
वेबिनार के जरिए शेर ए कश्मीर विवि के डॉ. इम्माद ए साह, प्रदीपन राय आरएफआरआइ, तेमलेनसोला व बिथी बरूह, हेमंत पोखरियाल असम कृषि विवि, अब्दुल मलिक, लाऔन, दीपाकर नाथ, रकतिम शर्मा, डॉ. रामलाल आइसीएआर एनआरसीओ सिक्किम, माला पामई एनआइटी नगालैंड, डॉ. निदा रिजवी इंद्रप्रस्थ विवि, निधि चिल्लर, अभिषेक चिल्लर आदि ने अपनी शोध कार्यो की प्रस्तुतिया दी। ललित कपूर वरिष्ठ सलाहकार वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, प्रो. एसके मिश्रा आईआईटी रुड़की, प्रो. सीसी पंत कुमाऊं विवि तथा डॉ. जेसी भट्ट पूर्व निदेशक विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान आदि ने शोध कार्यो का मूल्यांकन कर अहम सुझाव दिए। नए क्षेत्रों में नई विधियों से किए जा रहे शोध की सराहना कर गुणवत्ता की सीख दी।
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मॉडलों पर अन्य राज्यों संग मिलकर करेंगे काम : प्रो. किरीट
नोडल अधिकारी मिशन प्रो. किरीट कुमार ने कहा कि जैव विविधता संरक्षण व जल संसाधन प्रबंधन विषयों पर विषय विशेषज्ञों की राय शोधार्थियों के लिए बहुउपयोगी साबित होगी। शोध कार्यो में गुणवत्ता व तेजी आएगी। राज्य स्तर पर शोध से मिली उपलब्धियों व सफल मॉडलों को अन्य प्रदेशों की सरकारों के साथ मिलकर आगे बढ़ाया जा सकता है। कुलपति पंजाब केंद्रीय विवि प्रो. आरके कोहली ने भी विचार रखे। सम्मेलन में वैज्ञानिक रंजन जोशी, संदीपन मुकर्जी, आशुतोष तिवारी, डॉ. ललित गिरि, तन्मय धर, जगदीश पांडे, अंकित धनै, योगेश परिहार, अरविंद टम्टा आदि ने भी सहयोग दिया। ==