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मवेशी दबोचने के फेर में गुलदार की पूर्व सैनिक से भिड़ंत

अल्मोड़ा के कठपुडि़या से सटे पपोली गांव (हवालबाग ब्लॉक) में सुबह सबेरे आबादी में तेंदुआ आ गया।

By JagranEdited By: Published: Sun, 05 Apr 2020 10:35 PM (IST)Updated: Mon, 06 Apr 2020 06:14 AM (IST)
मवेशी दबोचने के फेर में गुलदार की पूर्व सैनिक से भिड़ंत

संवाद सहयोगी, अल्मोड़ा : कठपुडि़या से सटे पपोली गांव (हवालबाग ब्लॉक) में सुबह सबेरे आबादी में घुस आए गुलदार ने खूब आतंक मचाया। मवेशियों को दबोचने के लिए घात लगाए बैठा गुलदार पहले पूर्व सैनिक पर झपट पड़ा। अचानक हुए हमले से ग्रामीण सहम गया। मगर हिम्मत जुटा कर पांच मिनट तक खुद व मवेशियों को बचाने के लिए भिड़ता रहा। हिसक हो उठे गुलदार ने पूर्व फौजी की जांघ व हाथों को पंजों और दांतों से लहूलुहान कर कर दिया। संघर्ष थमने के बाद इसी गुलदार ने दुकान बंद कर घर लौट रहे अन्य ग्रामीण पर हमला कर दिया। पंजों से उसकी कमर बुरी तरह जख्मी कर दी। हो हल्ला मचने पर गांव वालों ने घेरा डाला तो गुलदार गोशाला व पहाड़ी के बीच बनी गली में जा घुसा जहां करीब साढ़े चार घंटे तक फंसा रह गया।

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पपोला गांव के प्रधान रह चुके पूर्व सैनिक राजेंद्र सिंह बिष्ट रविवार को मवेशी लेकर जंगल की तरफ निकले। घर से 20 मीटर की दूरी पर आबादी क्षेत्र में गुलदार ने मवेशियों के फेर में उसी पर हमला बोल दिया। कुछ देर संघर्ष में राजेंद्र बुरी तरह घायल हो गया। डीएफओ कुशल सिंह रावत व वन क्षेत्राधिकारी संचिता वर्मा मय टीम पहुंची।

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बस बच ही गया महेंद्र

गांव में गुलदार के आक्रामक रुख से अनजान महेंद्र अल्मोड़ा रानीखेत हाईवे पर दुकान बंद कर घर लौट रहा था। रास्ते में गुलदार ने उस पर भी हमला कर पंजों से लहूलुहान कर दिया। दोनों घायलों को वन कर्मियों ने अस्पताल पहुंचा कर इलाज कराया। फिर मौके पर पहुंच गुलदार को कैद करने के लिए ऑपरेशन चलाया।

=.. दो घटे के ऑपरेशन में गुलदार सुरक्षित कैद

डीएफओ सिविल सोयम केएस रावत की निगरानी व रेंज अधिकारी संचिता वर्मा के नेतृत्व में पूर्वाह्न 11 बजे से करीब दो घटे चले ऑपरेशन के बाद नर गुलदार को दिन में एक बजे बगैर ट्रैंकुलाइज किए पिंजड़े में कैद कर लिया गया है। करीब 11 वर्षीय गुलदार की लंबाई करीब आठ फीट व ऊंचाई डेढ़ फीट है। टीम में रेंज अधिकारी केवलानंद, त्रिभुवन उपाध्याय, नंदन, मनीष आदि शामिल रहे। डीएफओ रावत के अनुसार घायलों को मुआवजा दिलाया जाएगा।

='गुलदार को एनटीडी स्थित वन्य जीव चिकित्सालय में तीन दिन तक निगरानी में रखेंगे। उसके स्वास्थ्य की लगातार मॉनीटरिंग की जाएगी। बिलकुल स्वस्थ होने पर चिकित्सकों की सलाह पर ही चौथे दिन सुरक्षित जंगलात में छोड़ा जाएगा।

- संचिता वर्मा, वन क्षेत्राधिकारी'


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