Move to Jagran APP

हिमालयी क्षेत्र की बेहतरी को बनेगी 'माउंटेन अकादमी'

हिमालय क्षेत्र की बेहतरी के लिए माउंटेन अकादमी बनाई जाएगी।

By JagranEdited By: Published: Mon, 09 Dec 2019 10:31 PM (IST)Updated: Tue, 10 Dec 2019 06:14 AM (IST)
हिमालयी क्षेत्र की बेहतरी को बनेगी 'माउंटेन अकादमी'

संवाद सहयोगी, अल्मोड़ा : जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण शोध एवं सतत विकास संस्थान कोसी कटारमल में देश भर के संस्थान व संगठनों के साथ ही पड़ोसी राष्ट्र नेपाल के वैज्ञानिकों एवं विशेषज्ञों ने वैश्विक तापवृद्धि जनित जलवायु परिवर्तन की मौजूदा स्थिति पर व्यापक मंथन किया। साथ ही जैव विविधवता, मानव एवं वन्यजीव तथा वनस्पतियों पर पड़ने वाले प्रभाव व बदलाव आदि तमाम पहलुओं पर चिंता दिखी। वहीं जल संकट समेत कई विषयों पर मंत्रणा, अब तक हुए शोध एवं अनुसंधान पर गहन चिंतन के बाद हिमालयी क्षेत्र की बेहतरी को 'माउंटेन अकादमी' स्थापित करने का निर्णय लिया गया।

loksabha election banner

अंतरराष्ट्रीय पर्वत दिवस के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय हिमालयी अध्ययन मिशन के नोडल संस्थान में सोमवार से तीन दिनी अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का श्रीगणेश हुआ। पहले सत्र में 'बदलती दुनिया में हिमालय की महत्ता' विषय पर वैज्ञानिकों ने अपनी बात रखी। मुख्य अतिथि प्रतिष्ठित ऑब्जर्व रिसर्च फाउंडेशन के फैलो प्रो. जे बंदोपाध्याय ने जलवायु परिवर्तन के इस दौर की चुनौतियों पर व्याख्यान दिया।

उपमहानिदेशक इंटरनेशनल सेंटर इंटीग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट (इसीमोड) काठमांडू (नेपाल) प्रो. एकलव्या शर्मा ने 'हिदू कुश हिमालय' पर अब तक हुए शोध एवं अनुसंधान के निष्कषरें पर प्रकाश डाला। साथ ही हिमालयी क्षेत्र को वैश्विक तापवृद्धि से बचाने की ओर सभी का ध्यान खींचा। इससे पूर्व निदेशक संस्थान डॉ. आरएस रावल ने मेहमान वैज्ञानिकों व विशेषज्ञों का गर्मजोशी से स्वागत किया। पुस्तक का विमोचन भी किया गया।

=================

भावी संकट से निपटने को जल प्रबंधन जरूरी

उद्घाटन के बाद 'हिमालयन मैटर्स फॉर वाटर' विषयक समानातर सत्र चला। इसमें डॉ. सेजल वोरा व डॉ. पीआर ओजस्वी एवं हिमालय क्षेत्र के विशेषज्ञों ने गहन चर्चा की। वैज्ञानिकों ने बदलते वैश्रि्वक परिदृश्य में भावी जल संकट, पानी की माग व आपूर्ति को जल प्रबंधन की पुरजोर वकालत की। साथ ही हिमालयी क्षेत्र में आजीविका की संभावनाएं कैसे बढ़ाई जाएं, इस पर भी अब तक हुए शोध व अनुसंधान पर चिंतन किया गया।

=================

वन्यजीवों पर प्रभाव रहा केंद्र

दूसरे विशेष सत्र में 'हिमालयन लैंडस्केप विशेष वन्यजीव आवास' विषयक सम्मेलन भारतीय वन्य जीव संस्थान देहरादून की अगुवाई में शुरू हुआ। इसमें पूर्व निदेशक डॉ. गोपाल रावत, वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. सत्य कुमार, गढ़वाल विवि के प्रोफेसर डॉ. प्रकाश नौटियाल आदि ने व्याख्यान दिए। वैज्ञानिकों ने मौजूदा तापवृद्धि से जलवायु परिवर्तन तथा इसका हिमालयी वन्यजीवों पर अब तक क्या कितना प्रभाव पड़ा, मंथन किया। भावी वैज्ञानिक कार्ययोजना भी तैयार की गई।

==================

इन्होंने भी दिया व्याख्यान

डॉ. एके नौटियाल संयुक्त सचिव पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (भारत सरकार), प्रो. एसपी सिंह भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी दिल्ली, प्रो. एसआर बारीक निदेशक राष्ट्रीय वनस्पतिक शोध संस्थान (एनबीआरआइ) लखनऊ, डॉ. ए माओ निदेशक बॉटेनिकल सर्वे ऑफ इंडिया, डॉ. के चंद्रा निदेशक जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, डॉ. जीएस रावत पूर्व

निदेशक भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून, डॉ. लक्ष्मीकांत प्रभारी निदेशक विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान अल्मोड़ा, आइसीआइएमओडी नेपाल के प्रो. एकलव्य शर्मा, जीबी पंत संस्थान गढ़वाल इकाई के प्रमुख डॉ. आरके मैखुरी, गोवाहाटी के डॉ. आरएम पंत आदि।

===============

15 विभिन्न विषयों पर प्रस्तुत होगी शोध रिपोर्ट

11 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय पर्वत दिवस तक चलने वाले अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में लगभग 150 वैज्ञानिक, विभिन्न हिमालयी क्षेत्रों में कार्यरत विभिन्न संस्थाओं के 30 विशेषज्ञ हिस्सा ले रहे। 15 विभिन्न विषयों पर आधारित सत्रों में विषय विशेषज्ञ अपनी शोध रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.