कैले बजै मुरूली ओ बैंणा ऊंची ऊंची डानों मां..
संवाद सहयोगी, चौखुटिया : कैले बजै मुरूली ओ बैंणा यो ऊंची-ऊंची डानों मा., हाई तेरी
संवाद सहयोगी, चौखुटिया : कैले बजै मुरूली ओ बैंणा यो ऊंची-ऊंची डानों मा., हाई तेरी रूमाला गुलाबी मुखड़ी.., हिमाला को ऊंचा डाना प्यारो मेरो गांव., रुपसा रमोती घुंगुर न बजा छम., तेरो कतू भलो रूप बनाई छा., आमै की डाई मां घुघुती नि बासा.,घुघुती घुरांदी लागी गे., रानीखेता राम ढ़ोला घम-धमा कन बाजनी.व पारै भिडै़ की बसंती छोरी.जैसे दिलकश लोक गीत-नृत्य प्रस्तुतियों को देख दर्शक मंत्रमुग्ध हो उठे।
मौका था यहां रंगीली बैराठ की धरती में स्थित बैराठेश्वर महादेव मंदिर परिसर में प्रसिद्ध लोकगायक गोपाल बाबू गोस्वामी के जन्मोत्सव का। कार्यक्रम की शुरूआत उभरते लोक कलाकार रमेश बाबू गोस्वामी की बंदना प्रस्तुति-देवी बराही तू मेरी सेवा लिए.व नव हिमालय लोक समिति अल्मोड़ा की-शिव बंदना प्रस्तुति- उत्तराखंड देवा भूमि तेरी जय जयकार.से हुई। इसके साथ ही मंच पर देर शाम तक हिमालय लोक सांस्कृतिक मंच व नव हिमालय लोक समिति के कलाकारों की उत्तराखंडी लोकगीत-नृत्यों ने ऐसी धूम मचाई कि दर्शक भी नाचने का मजबूर हो गए।
समारोह में बाहर से आए लोक गायक गोपाल मठपाल, दीपक ममगाई, पंकज रावत, कृपाल बिष्ट, रमेश कनारी, ललिता रावत, गायत्री बिष्ट, संगीता जोशी, तनु बिष्ट, सतीश मैंसी व हरीश देवतला के एकल पहाड़ी गीत प्रस्तुतियों ने खूब धमाल मचाया। संचालन आयोजन समिति के संयोजक रमेश बाबू गोस्वामी ने किया।
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स्व. गोपाल बाबू को किया भावपूर्ण स्मरण
गोपाल बाबू की याद में आयोजित समारोह का शुभारंभ उनकी धर्म पत्नी मीरा गोस्वामी ब्लॉक प्रमुख बिशन राम, जिपंस गजेंद्र नेगी, शिव कुमार, पूर्व प्रधानाचार्य बाली राम कोहली, गणेश नायक आदि अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलित करने के बाद उनके चित्र के सम्मुख पुष्प अर्पित कर किया।