कैंट की अनुमति के बिना आवास को बनाया होटल, कसा शिकंजा
अल्मोड़ा जिले के रानीखेत में छावनी क्षेत्र में आवासीय भवन का व्यवसायिक इस्तेमाल कर टैक्स चोरी का मामला सुर्खियों में आ गया है।
रानीखेत, [जेएनएन]: छावनी क्षेत्र में 'ओल्ड ग्रांट' यानी आजादी के बाद ब्रितानी शासकों से अनुदान में मिली आवासीय संपत्ति का कैंट बोर्ड से अनुमति लिए बगैर व्यवसायिक उपयोग और टैक्स चोरी का बड़ा मामला सामने आया है। रक्षा संपदा विभाग (उत्तर भारत एरिया बरेली) ने इसे कैंट एक्ट का उल्लंघन मानते हुए शिकंजा कस दिया है। सूत्रों की मानें तो करीब दो दशक पूर्व आवासीय भवन को बगैर अनुमति, अनापत्ति व लाइसेंस लिए एक भव्य होटल की शक्ल दे दी गई थी। यही नहीं सराय एक्ट व अन्य टैक्स कैंट बोर्ड में जमा कराया ही नहीं गया। बीते वर्ष डिफेंस एस्टेट ऑफिसर (डीइओ उत्तर भारत बरेली) ने बकायदा नोटिस भेज टैक्स समेत 7.48 करोड़ रुपये का जुर्माना ठोक वसूली के निर्देश दिए थे। मगर होटल कारोबारी ने रकम चुकाई ही नहीं। इधर, संसद में पेश कैग की रिपोर्ट के बाद संबंधित होटल कारोबारी के खिलाफ कार्रवाई तय मानी जा रही।
छावनी क्षेत्र में आवासीय भवन का व्यवसायिक इस्तेमाल कर टैक्स चोरी का मामला सुर्खियों में आ गया है। ब्रिटिश शासकों से अनुदान में मिले आवासीय भवन का व्यवसायिक लाभ लेने के मकसद से होटल बना दिया गया। इसके लिए कैंट से न तो अनापत्ति ली गई न ही होटल व्यवसाय के लिए लाइसेंस ही लिया गया। इतना ही नहीं परिसर के इर्दगिर्द कैंट एक्ट का उल्लंघन कर परिसर में पर्यटकों के लिए हट व स्वीमिंग पूल आदि नए निर्माण भी करा दिए गए।
सूत्रों के अनुसार कोई भी व्यक्ति बिना बोर्ड की अनुमति के आवासीय भवन पर व्यवसायिक गतिविधियां नहीं चला सकता। किसी भी निर्माण से पूर्व अनापत्ति लिया जाना भी जरूरी है पर इस मामले में छावनी परिषद को करोड़ों के राजस्व की चपत लगाई जा रही। हालांकि बीते वर्ष डीइओ बरेली ने संबंधित होटल कारोबारी को नोटिस भेज टैक्स व जुर्माना वसूली के निर्देश दिए थे पर आरोपित ने टैक्स की रकम व अर्थदंड समेत 7.48 करोड़ की राशि चुकाई ही नहीं। अब संसद में कैग की रिपोर्ट पेश होने के बाद माना जा रहा है कि संबंधित होटल कारोबारी के खिलाफ कार्रवाई तय है। सूत्रों के मुताबिक टैक्स व जुर्माने की भारी भरकम रकम कैसे वसूली जाए, स्थायी कैंट बोर्ड डीइओ बरेली के अग्रिम आदेश का इंतजार कर रहा।
सीईओ कैंट बोर्ड ज्योति कपूर का कहना है कि मामला उच्चाधिकारियों से संबंधित है। डीइओ उत्तर भारत एरिया बरेली से जो भी निर्देश मिलेगा, उसी के अनुरूप कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
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