एक बाल रोग विशेषज्ञ पर 21307 बच्चों का जिम्मा
अल्मोड़ा जिले में कोरोना की दूसरी लहर घातक साबित हुई। वर्तमान में संक्रमण की दर कम जरूर हुई है। मगर खतरा टला नहीं है। अब विशेषज्ञ महामारी की तीसरी लहर के प्रति आगाह कर चुके हैं। जनपद के विभिन्न चिकित्सालयों में सात बाल रोग विशेषज्ञ हैं। यानी एक डाक्टर पर औसतन 21307 बच्चों की सुरक्षा का जिम्मा है।
संस, अल्मोड़ा : कोरोना की दूसरी लहर घातक साबित हुई। चिकित्सालयों में सुविधाओं व ऑक्सीजन का अभाव जानलेवा साबित हुआ। संक्रमण की दर कम जरूर हुई है। मगर खतरा टला नहीं है। अनलॉक में बाजार क्षेत्र हो या चिकित्सालय, लापरवाही बनी हुई है। मास्क से परहेज व शारीरिक दूरी के नियम टूट रहे हैं। अब विशेषज्ञ महामारी की तीसरी लहर के प्रति आगाह कर चुके हैं। टीकाकरण न होने से इसे 18 आयुवर्ग तक के लिए घातक माना जा रहा है।
वहीं जनपद में कुल 149154 बच्चे व किशोर हैं। जनपद के विभिन्न चिकित्सालयों में सात बाल रोग विशेषज्ञ हैं। यानी एक डाक्टर पर औसतन 21307 बच्चों की सुरक्षा का जिम्मा है। चिकित्सकों ने माना कि संभावित तीसरी लहर में बच्चों की सुरक्षा को विशेषज्ञों की संख्या कम है।
चिकित्सालय में चार ऑक्सीजन कंसंट्रेटर व 21 सिलेंडर हैं। एक बाल रोग विशेषज्ञ हैं। उनके पास सीएमएस का चार्ज भी है। एक और चिकित्सक की जरूरत है।
- डा. कमल, महिला चिकित्सालय अल्मोड़ा'
तीसरी लहर बच्चों पर असर डाल सकती है। व्यस्कों को वैक्सीन लग रही है व बच्चों की ट्रायल चल रहा है। ऐसे में बच्चों को बाजार या भीड़भाड़ वाले स्थानों से बचाना होगा। संक्रमित मिलेगा तो उसे प्राथमिक उपचार के बाद बेस अस्पताल भेजेंगे।
- डॉ. मनीष पंत, बाल रोग विशेषज्ञ जिला चिकित्सालय'
बाजार खुलने के बाद बचाव के नियमों का पालन नहीं हो रहा है। कोरोना की तीसरी लहर आना तय है। अभिभावक बच्चों को बाजार बिल्कुल न भेजें ना लाएं। जागरूकता ही बचाव का तरीका है।
- डॉ. मोनिका नेगी, चिकित्सक, जिला चिकित्सालय अस्पताल में ऐसी कोई विशेष व्यवस्था तो नहीं है। कोरोना के गंभीर लक्षण मिलने पर बेस भेजा जाएगा। जो लोग बच्चों को उपचार के लिए अस्पताल ला रहे हैं, उन्हें जागरूक कर रहे हैं।
- डॉ. शाभवी मिश्रा, बाल रोग विशेषज्ञ जिला चिकित्सालय